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संतान पक्ष को प्रभावित करता है काल सर्प योग

रह प्रकार के काल सर्प योगों में पद्म नामक काल सर्प योग कुंडली के पंचम भाव से संबंधित है। पंचम भाव संतान, शिक्षा, पूर्वजन्म के कर्म आदि का भाव है। इस योग के कारण संतान सुख में रुकावट आती है, शिक्षा में बाधा उत्पन्न होती है और निरंतर चिंता और परेशानी के कारण जातक का जीवन संघर्षमय बना रहता है।

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संतान प्राप्ति

कैसे जानें कि जातक को पुत्र या पुत्री संतान की प्राप्ति होगी? संतान सुख होने या न होने के ज्योतिषीय कारण क्या हैं? विस्तृत वर्णन करें। उत्तर: जीवन के सभी सुखों में संतान सुख का एक अलग ही स्थान है। न तो पुरुष नपुंसक कहलाना चाहता है न स्त्री बांझ कहलाना चाहती है। भारतीय हिंदू धर्म ग्रंथों में जिन पांच प्रकार के ऋणों की व्याख्या की गई है, उनमें से एक पितृ ऋण’ तथा उसी प्रकार ‘मातृ ऋण’ भी है। यह ऋण बगैर संतानोत्पत्ति के नहीं चुकाया जा सकता।

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संतान प्राप्ति के अचूक उपाय

यदि किसी व्यक्ति को संतान प्राप्ति में समस्या आ रही हो, तो ऐसे व्यक्ति इस लेख में लिखे गये सरल उपायों को अपना कर संतान की प्राप्ति अति ही सहजता के साथ कर सकते हैं। किंतु उपायों को अति सावधानी से व श्रद्धा के साथ करना अति आवश्यक होता है। उपाय निम्नवत हैं:

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संतान प्राप्ति के उपाय

सामाजिक जीवन में पारिवारिक खुशी एवं पितृ ऋण के मुक्ति बाबत आगम एवं आर्ष ग्रंथों में संतान का जन्म लेना दंपत्ति के लिए मंगलमय माना गया है। आइये हम अध्यात्मवाद एवं सरलतम् उपायों से चाहे बंध्या हो, काक बंध्या हो, कन्या बंध्या या मृत वत्सा हो। सबके लिए निम्न उपाय श्रद्धा से करें तो इच्छित संतान की प्राप्ति संभव है।

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संतान प्राप्ति के योग

घर आंगन बच्चों की किलकारियों से गूंजे, वंशवृद्धि हो, बुढ़ापे में सेवा हो और भी न जाने कितनी बातें सोच कर लोग संतान प्राप्ति के लिए क्या-क्या नहीं करते। किसी भी व्यक्ति की जन्मकुंडली देखकर यह बताया जा सकता है कि उसकी संतान कब होगी, कितनी होगी, कैसी होगी और होगी या नहीं, इस आलेख में संतान विषयक ज्योतिषीय योगों का विवेचन किया गया है...

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संतान विचार

करियर बनाने एवं पढ़ाई के चलते ज्यादातर लड़कियां देर से शादी करना पसंद करती हैं। लेट शादी से प्रेग्नेंसी में भी देरी होती है। शादी की उम्र बढ़ने के साथ प्रजनन की क्षमता कम होती है। लाइफ स्टाइल, स्ट्रेस और पाॅल्यूशन प्रजनन क्षमता पर बड़ा खतरा बन गया है। हर चार में से एक महिला इनफर्टिलिटी का शिकार हो रही है। पहला बच्चा 25 से 30 के बीच हो जाना चाहिए। शादी 35 के बाद हो तो बच्चा होने की संभावना 60 प्रतिशत कम हो जाती है।

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संतानहीनता: कारण और निवारण

संतान का सुख मनुष्य के जीवन का सबसे बड़ा सुख है। शास्त्रानुसार पुत्र-संतान के बिना दंपत्ति की सद्गति नहीं होती। विवाह का एक प्रमुख उद्देश्य संतान प्राप्ति भी है। संतान ही वंश को आगे बढ़ाती है तथा सामाजिक व सांस्कृतिक चक्र को निरंतर बनाए रखती है। संतान का अभाव दांपत्य जीवन के कष्टप्रद होने का एक प्रमुख कारण है। संसार का प्रत्येक स्त्री-पुरूष संतान उत्पन्न कर तथा उसका पालन-पोषण कर अपने ऋण से मुक्त होने की अभिलाषा रखता है।

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स्थायी रोजगार या नौकरी की समस्या

आज के युग में जीवन को स्थायी व सुदृढ़ ढंग से जीने के लिए धन का होना बड़ा महत्व रखता है। बिना धन के इस युग में जीने की कल्पना तक आप नहीं कर सकते। धन प्राप्त करने के लिए आप के पास स्थायी रोजगार या नौकरी होना अत्यंत महत्वपूर्ण है। बिना स्थायी रोजगार या नौकरी के आप अपने जीवन व परिवार का पालन पोषण ठीक ढंग से नहीं कर सकते किंतु इस प्रतिस्पर्धा के युग में स्थायी रोजगार व नौकरी मिल पाना बड़ा ही कठिन कार्य हो गया है