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शिशु जन्म समय निर्धारण कैसे करें

आज के वैज्ञानिक युग में यदि मशीनीकरण हो रहा है एवं चिकित्सा शास्त्र में उन्नति हो रही है तो शिशु जन्म प्रक्रिया में भी अनेक अंतर आए हैं। आज शिशु का जन्म शल्य चिकित्सा द्वारा अपने मनचाहे समय पर करवा सकते हैं और इस प्रकार ज्योतिष विधान के अनुसार उसका भविष्य अपने हाथों निर्मित कर सकते हैं।

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शिशु संबंधी समस्याएं हों तो क्या करें

अक्सर देखा गया है जब इंसान के यहां शिशु का जन्म होता है तो जातक के जीवन में एक नये अध्याय का आरंभ होता है और उसके पालन-पोषण के बारे में उसे इतनी जानकारी नहीं होती और समय-समय पर उसे कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है। अगर आप भी इन्हीं परिस्थितियों में चल रहे हैं तो ज्योतिष शास्त्र आपकी किस तरह सहायता कर सकता है।

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शीघ्र विवाह के अचूक उपाय

घर में कलह होने का एक कारण युवा संतानों का समय से विवाह न होना भी है। आज लड़कियों के लिए उचित वर ढूंढते-ढूंढते माता-पिता का दिन का चैन और रातों की नींद छिन जाती है तो अच्छी पत्नी की तलाश में लड़के भी अपनी उम्र बढ़ाते चले जाते हैं। इस सबके बीच लोगों की तानेबाजी तनाव बढ़ाने में आग में घी का काम करती है। इस आलेख में शीघ्र विवाह के अनुभूत उपाय दिए जा रहे हैं...

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शीला दीक्षित: दिल्ली की हैट्रिक मुख्यमंत्री का सफर

विश्व के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश की राजधानी की मुख्यमंत्री बनना बहुत बड़े गौरव की बात है। यह गौरव जिसे एक नहीं बल्कि तीन बार प्राप्त हुआ, उस शख्सियत का नाम शीला दीक्षित है। इसके साथ ही इन्हें कांग्रेस पार्टी की वरिष्ठ नेता बनने का सम्मान भी प्राप्त था। अपने तीन बार के मुख्यमंत्री के कार्यकाल में शीला दीक्षित को राजधानी को एक नया रुप-रंग देने के लिए विशेष रुप से याद किया जाता है।

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षट्कर्म साधन

शरीर एवं मन के रोगों की शांति से लेकर किसी को अपनी ओर आकर्षित करने या स्तंभन करने के लिए भारतीय वेद शास्त्रों में अनेक प्रकार के अनुष्ठानों का वर्णन है। प्रसतुत लेख में षट्कर्म साधना क्रिया की विधि व विभिन्न कार्यों के लिए कौन सा मंत्र एवं यंत्र उपयोग में लाना चाहिए का विवरण किया गया है।

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षोडश वर्ग फलित ज्योतिष का महत्वपूर्ण अंग

प्रश्न: फलित ज्योतिष में षोडश वर्ग का क्या महत्व है? उत्तर: जन्म पत्रिका का सूक्ष्म अध्ययन करने के लिए षोडश वर्ग विशेष सहायक होते हैं। इन वर्गों के अध्ययन के बिना जन्म कुंडली का विश्लेषण अधूरा है क्योंकि जन्म कुंडली से केवल जातक के शरीर, उसकी संरचना एवं स्वास्थ्य के बारे में विस्तृत अध्ययन किया जाता है

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संक्षिप्त तर्पण तथा श्राद्ध विधि

श्राद्ध कैसे करना चाहिए यह जानना तथा तदनुरूप श्राद्ध संपन्न करना आवश्यक है। यहां तर्पण तथा श्राद्ध विधि प्रस्तुत कर रहे हैं। श्राद्ध हर व्यक्ति को अवश्य करना चाहिए। इससे हर प्रकार का लाभ मिलता है। देवताओं के लिये एक अंजलि दें। ऊँ भूर्देवाः तृप्यन्ताम्। ऊँ भुवः देवा तृप्यन्ताम्। ऊँ स्वः देवाः तृप्यन्ताम्। ऊँ भूर्भुवः स्वः देवाः तृप्यन्ताम्। ऊँ ब्रह्मादयो देवाः तृप्यन्ताम्। इति तर्पणम्।

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सुख-समृद्धि हेतु शाबर मंत्र प्रयोग

वर्तमान में ज्यादातर मनुष्य रोजगार से चिंतित रहते हैं। उच्च शिक्षा प्राप्त करने पर भी कार्य नहीं मिल पाता। क्या करें? क्या न करें? यही विचार मस्तिष्क में चलता रहता है। लोग व्यापार करते हैं, लाभ प्राप्त नहीं हो पाता, होता भी है, तो नाम-मात्र का। घर का खर्च कैसे चले? आवश्यकतायें कैसे पूर्ण हों? इन्हीं तथ्यों को ध्यान में रखकर शाबर मंत्र दिए जा रहे हैं, लाभ प्राप्त करें। याद रखें-सभी मंत्रों में पूर्व साधना पूर्ण करने का विधान पूर्ववत ही है।

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सुखी गृहस्थ जीवन

अपने बच्चों का गृहस्थ जीवन प्रारंभ होने से पूर्व उनकी जन्मपत्रिका का परीक्षण योग्य ज्योतिषी से अवश्य करा लें। जहां कन्या सुखी रहे वहीं उसका विवाह करना है। ऐसा विचार करना माता-पिता का कर्तव्य है। परंतु यह उनके वश में नहीं है। जन्मपत्री के अध्ययन से यह पता लग सकता है कि वैवाहिक जीवन कैसा होगा।