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संन्यास योग कारक शनि

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सौरमंडल में नौ ग्रह विद्यमान हैं जो समस्त ब्रह्मांड, जीव एवं सभी क्षेत्रों को प्रभावित करते हैं, जिनमें शनि की महत्वपूर्ण भूमिका है। शनि चिंतनशील, गहराइयों में जाने वाला, योगी, संन्यासी एवं खोज करने वाला ग्रह है। शनि के साथ सूर्य जो नवग्रहों में राजा एवं अग्नि तत्व ग्रह है एवं मानव शरीर संरचना का कारक है, राहु जो शनि के समान ही ग्रह है, शनि के साथ सूर्य, राहु पृथकता जनक प्रभाव रखते हैं।

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सेना में करियर

कुंडली में मंगल व शनि व्यावसायिक जीवन में वर्दी पहनने वाले लोगों का प्रतिनिधित्व करते हैं। जहां मंगल साहस, शक्ति व वीरता का प्रतीक है वहीं शनि जातक को गंभीर व अनुशासित बनाता है। शनि को न्याय का प्रतीक व दंडाधिकारी भी माना जाता है। वे सभी व्यवसाय जहां अनुशासन की अहमियत अधिक होती है शनि से जुड़े होते हैं। यदि अनुशासन के कारक शनि की साहस व पराक्रम के कारक मंगल से युति हो रही हो तो यह एक सफल सैनिक बनने का श्रेष्ठतम योग होता है।

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सप्ताह के आखिरी दिन सर्जरी के लिए प्रतिकूल क्यों?

लंदन में हुए एक वृहत विश्लेषण के अनुसार चिकित्सकों के इस विश्वास को सही पाया गया जिसके अनुसार सप्ताह के आखिरी दिनों या सप्ताहांत में होने वाले आॅपरेशन असफल रहते हैं या जीवन के लिए खतरा बन जाते हैं। लंदन के प्उचमतपंस ब्वससमहम के शोधार्थियों के एक अध्ययन के अनुसार सप्ताह के आखिरी दिनों या सप्ताहांत में होने वाले आॅपरेशन में मृत्यु दर अधिक पाई गई। शोधार्थियों ने यह बात जोर देकर कही कि ऐसे रोगी जिनके आॅपरेशन में अधिक जोखिम हो उन्हें सप्ताह के शुरूआती दिनों में ही सर्जरी करवानी चाहिए। हाॅस्पीटल के 30 दिनों के अन्तराल की मृत्यु संख्या के स्टैटिस्टिक्स के विश्लेषण से यही पाया गया कि रोगियों के लिए मृत्यु का जोखिम सप्ताह के आखिरी दिनों और सप्ताहांत में होने वाले आॅपरेशन्स में सप्ताह के शुरुआती दिनों में होने वाले आॅपरेशन्स के मुकाबले अधिक था।