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सरस्वती यंत्र/ सरस्वती मंत्र

मां सरस्वती को विद्या, शिक्षा, ज्ञान, कला, संगीत की देवी के रूप में मान्यता प्राप्त है तथा अनेक वैदिक ज्योतिषी यह मानते हैं कि मां सरस्वती की कृपा के बिना किसी भी प्रकार की कला अथवा विद्या की प्राप्ति नहीं हो सकती। ज्ञान को संसार में सभी चीजों से श्रेष्ठ कहा गया है। इस आधार पर देवी सरस्वती सभी से श्रेष्ठ हैं। सरस्वती जी की उपासना से ही इंद्र शब्द शास्त्र और उसका अर्थ समझ पाए अतः ज्ञान प्राप्ति हेतु देवी की उपासना, पूजा ही श्रेयस्कर है। सरस्वती के प्रसाद से ही शुक्राचार्य सभी दैत्यों के पूज्यनीय गुरु हो गए। सरस्वती कृपा से ही भगवान वेद व्यास चारों वेदों को विभक्त कर संपूर्ण पुराणों की रचना कर पाए।

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सलमान खान के लिए कठिन समय

मनुष्य के जीवन में सुख-दुख का मिश्रण उनके पूर्वजन्म के कर्मफल के अनुसार होता है। पीढ़ियों के अनुभव ने इस तथ्य को ‘‘सब दिन होत न एक समान’’ लोकोक्ति का रूप दे दिया है। ‘‘उत्तरकालामृत गं्रथ (6.2) के अनुसार ः ‘‘पुष्यंवाप्यथ पापरूपभपिवा कर्मार्जितं प्रागभवे। तत्पाकोऽत्र तु खेचरस्य हि दशाभुक्तयादिभिज्र्ञायते।।’’ अर्थात्, ‘‘पुण्य और पाप जो पूर्वजन्म के कर्मों द्वारा उपार्जित किये गये हैं, उनका फल इस जन्म में ग्रहों की दशा-भुक्ति द्वारा जाना जाता है।’’ अतः किसी व्यक्ति को जीवन में सुख और दुख की अनुभूति कब होगी इसका सटीक मार्गदर्शन इस व्यक्ति की जन्म कुंडली के वैदिक ज्योतिषीय विवेचन द्वारा जाना जा सकता है।

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स्लिप डिस्क

हेल्थ कैप्सूल के इस लेख क्रम में स्लिप डिस्क नामक समस्या का विस्तृत विवेचन, उपचार तथा सावधानियों का उल्लेख करने के साथ-साथ प्रत्येक लग्न वाले व्यक्तियों के संबंध में इस रोग की संभाव्यता का ज्योतिषीय दृष्टिकोण से विवेचन किया गया है। अमरूद जैसे लाभकारी फल के लाभों के बारे में वैज्ञानिक जानकारी तथा सावधानियां बताई गई है।

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स्लिप-डिस्क

ईश्वर की जटिल कारीगरी का एक अनोखा नमूना है ‘मानव शरीर’। यह अनगिनत छोटी-छोटी कोशिकाओं से बना है। ये कोशिकाएं शरीर में रक्त, त्वचा, मांसपेशियों, हड्डियों तथा अन्य अंगों का निर्माण करती है। अस्थि तंत्र शरीर का विशेष अंग है, जिसकी प्रत्येक हड्डी की उसके कार्य के अनुरूप एक विशिष्ट आकृति होती है।

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स्वजन सुख विहीन

बहुत से बच्चों की तकदीर कुछ ऐसी होती है कि उन्हें अपने माता-पिता, कुटुम्बियों व सगे-संबंधियों के सुख से वंचित होना पड़ता है। गरीब परिवार में जन्मी फूल सी बच्ची सान्या के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ। इसे ग्रह, नक्षत्रों का खेल ही कहेंगे कि उसे जन्म के पश्चात एक संपन्न परिवार की महिला ने बेटी के रूप में अपनाया तो सही परंतु वहां भी उसके मातृ सुख पर प्रश्न चिह्न लग गया।

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संवत् 2063 का वर्षफल

जगत पिता ब्रह्माजी ने सृष्टि की रचना चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को की थी अतः इसी पुनीत दिन को संवत्सर का आरंभ माना जाता है। इस बार इस संवत्सर 2063 का प्रवेश चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तदनुसार 29 मार्च 2006 बुधवार को अपराह्न 3 बजकर 47 मिनट पर हो रहा है, किंतु इसका आरंभ 30 मार्च 2006 गुरुवार को प्रातः काल से माना जाएगा।