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राष्ट्रपति चुनाव : गद्दी किसके हाथ

देश के सर्वोच्च पद के चुनाव का समय नजदीक अआया जा रहा है। अटकलों का बाजार गर्म है। चुनाव मैदान में दो सशक्त उम्मीदवार है। श्रीमती प्रतिभा पाटिल तथा वर्तमान उपराष्ट्रपति श्री भैरों सिंह शेखावत। १९ जुलाई को होने वाले स चुनाव में विजयश्री किसे मिलेगी

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राहु का गोचर फल

14 जुलाई 2014 को राहु राशि परिवर्तन कर रहा है। तुला से कन्या में आ जाएगा और 18 महीने की अवधि तक इसी राशि में रहेगा। जिनकी कुंडलियों में राहु 3, 6, 11 भावों में, उच्च राशि, मूल त्रिकोण राशि, स्वराशि या मित्र राशि में है उनको राहु के शुभ फल प्राप्त होंगे यदि साथ में दशा भी अनुकूल हो। प्रतिकूल परिस्थितियों में राहु के अशुभ फल प्राप्त हो सकते हैं।

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राहु का प्रभाव

ब्रह्मांड में स्थित नव-ग्रहों में से प्रमुख सात ग्रहों (सूर्य, चन्द्र, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, तथा शनि) को छोड़कर शेष दो छाया ग्रहों (राहु-केतु) में राहु का विशेष स्थान है। हालांकि इन छाया ग्रहों का कहीं भौतिक अस्तित्व नहीं है केवल आभास मात्र है लेकिन अन्य प्रमुख ग्रहों की भांति इनका भी भूतल निवासी मानवों पर सीधा प्रभाव दृष्टिगोचर होता है, जिसके कारण राहु नामक छाया ग्रह भी ज्योतिष जगत में अपना विशेष स्थान रखता है।

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राहू कि महादशा में नवग्रहों कि अंतर्दशाओं का फल एवं उपाय

राहू मूलत: छाया ग्रह है, फिर भी उसे एक पूर्ण ग्रह के समान ही माना जाता है। यह आर्द्रा, स्वाति एवं शतभिषा नक्षत्र का स्वामी है। राहू कि दृष्टि कुंडली के पंचम, सप्तम और नवम भाव पर पड़ती है। जिन भावों पर राहू कि दृष्टि का प्रभाव पडता है, वे राहू कि महादशा।

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राहु की विभिन्न ग्रहों के साथ युति फल

ज्योतिष शास्त्र में सात मुख्य ग्रहों और दो छाया ग्रहों को सर्वसम्मति से मान्यता प्राप्त है। राहु केतु छाया ग्रह हैं। छाया ग्रह होते हुये भी राहु की फलादेश में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका रहती है। कोई भी ग्रह जब कुंडली में राहु के साथ युति बनाता है तो उसके फल कुछ और ही होते हैं। कई स्थानों पर ये युति अशुभ न होकर शुभ फल प्रदान करती है और अनेक अन्य भावों में अशुभत्व प्रदान करती है।