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रत्न धारण का समुचित आधार

जो ग्रह पत्रिका में शुभ एवं कारक है अथवा जिस ग्रह की दशा चल रही हो और वह शुभ प्रभाव देने वाला है वही रत्न धारण करें। यदि वह लग्नेश या राशीश हो तो उसे जरूर धारण करें। यदि अशुभ ग्रह की दशा चल रही हो तो उसकी प्रत्यंतर दशा में जो शुभ ग्रह आने वाला हो उनकी अंतर्दशा के रत्नों को धारण करें। मित्र ग्रहों के रत्नों को एक साथ धारण कर सकते हैं परंतु शत्रु ग्रहों के रत्नों को एक साथ धारण नहीं करना चाहिये अन्यथा वह अशुभ फल देंगे। सूर्य-मंगल-बृहस्पति मित्र हैं। यदि कुंडली में इनकी स्थिति अच्छी है तो माणिक, मूंगा पुखराज पहन सकते हैं। शनि-बुध-शुक्र मित्र हैं। नीलम, हीरा, पन्ना एक साथ पहन सकते हैं।

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रत्न धारण विधि

हर व्यक्ति अपनी कुंडली के अनुसार रत्न पहन कर मनोवांछित लाभ प्राप्त कर सकता है बशर्ते कि रत्न असली हो और उसे शास्त्रों के नियमों के अनुसार धारण किया गया हो। इसके विपरीत अगर रत्न असली हो और ़उसे नियम के अनुसार धारण न किया गया हो तो रत्न पूर्ण रूप से प्रभावी नहीं होते। इस लेख में रत्न को धारण करने के सरल एवं सामान्य नियम बताये गये हैं जो हर व्यक्ति कर सकता है।

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रत्न धारण से रोगों का निदान

विज्ञान ने भी सिद्ध किया है कि मानव शरीर का निर्माण कई धातुओं के संयोग से हुआ है और सारी सृष्टि की अन्य सभी वस्तुओं का निर्माण भी इसी प्रकार हुआ है। इसी प्रकार रत्न भी इन्हीं धातुओं के मेल से प्रकृति के गर्भ में निर्मित होते हैं। यही कारण है कि रत्नों का सीधा असर हमारे स्वाभाव, व्यवहार, स्वास्थ्य आदि पर पड़ता है। रत्न धारण करने से हमारी भाग्योन्नति, मानसिक स्थिति एवं निर्णय लेने की क्षमता, प्रेम संबंध आदि प्रभावित होते हैं।

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रत्न प्रश्नावली

प्रश्न: रत्न की परिभाषा क्या है अथवा रत्न किसे कहते हैं? उत्तर: सामान्यतः रत्न प्राकृतिक रूप में पाए जाने वाले पाषाण खंडों के उन छोटे-छोटे अंशों को कहते हैं, जो अपनी दुर्लभता, चमक, बनावट आदि के कारण बहुमूल्य समझे जाते हैं। संस्कृत साहित्य में ‘रत्न’ शब्द का प्रयोग मूल्यवान वस्तुओं एवं बहुमूल्य जवाहरात के लिए हुआ है। प्रश्न: रत्न और मणि एक दूसरे के पर्याय हैं या उनमें कुछ भेद है?

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रत्न पहनाएं, दोष भगाएं

रत्न अपना प्रभाव अवश्य दिखाते हैं। उनकी इस शक्ति का प्रयोग अपनी ग्रह स्थितियों के अनुसार किया जाए तो वे जीवन में कई सकारात्मक उपलब्धियां प्राप्त करने में सहायक सिद्ध होते हैं। बिना सोचे समझे रत्न धारण करने के दुष्परिणाम भी कम नहीं होते। इस आलेख में कौन सा रत्न किसे और कितने वजन का पहनना चाहिए इसकी विस्तृत जानकारी दी जा रही है...

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रत्न रहस्य

मानव जीवन पर ग्रहों का अत्यधिक प्रभाव पड़ता है. ग्रहों में व्यक्ति के सृजन एवं संहार की जितनी प्रबल शक्ति होती है, उतनी ही शक्ति रत्नों में ग्रहों की शक्ति घटाने तथा बढाने की होती है. रत्नों की इसी शक्ति के उपयोग के लिए इन्हें प्रयोग में लाया जाता है. रत्न मात्र व्यक्ति के सोंदर्य में ही वृद्धि नहीं करते हैं बल्कि इनके प्रयोग से ग्रह जनित रोगों कों भी दूर किया जा सकता है...

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रत्न-रुद्राक्ष कवच

वर्तमान समय में मनुष्य के जीवन में इतनी अधिक व्यस्तता बढ़ गई है कि प्रत्येक व्यक्ति के पास प्रतिदिन पूजा पाठ के लिए अतिरिक्त समय निकालना कठिन सा हो रहा है। आज विज्ञान जितनी भौतिक उन्नति कर रहा है, दूसरी ओर उतने ही अनुपात में व्यक्ति की समस्याओं में भी वृद्धि हो रही है ऐसी परिस्थितियों में सरल आध्यात्मिक उपायों के द्वारा व्यक्ति अपनी समस्याओं को सुलझा सकता है।

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रत्नों का चिकित्सा में प्रयोग

मनुष्य को प्रकृति की अनुपम भेंट रत्न न केवल आभूषण के रूप में उपयोग किए जाते हैं बल्कि इनमें अनेक औषधीय गुण भी होते हैं। किंतु, बिना सोचे-समझे इनका उपयोग हानिकारक भी हो सकता है। प्रस्तुत आलेख में विभिन्न रत्नों के गुणों और विभिन्न रोगों के उपचार में उनके महत्व पर प्रकाश डाला गया है, आइए देखें ...

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रत्नों का फैन बाॅलीवुड

सुखमय जीवन जीने के लिए व्यक्ति को तीन प्रकार की ऊर्जा की आवश्यकता होती है जिसमें एक ऊर्जा हमें भोजन के द्वारा प्राप्त होती है। दूसरी ऊर्जा हमें सूर्य से प्राप्त होती है और तीसरी ऊर्जा हमें रत्नों के द्वारा प्राप्त हो सकती है। शरीर में जिस ग्रह की ऊर्जा कम हो उसे ध्यान में रखते हुए रत्न का निर्धारण किया जाता है।