For Any Query About Software
Call: +91-9773650380(Anil)

All Articles

Read Articles in English
futurepoint-articles

लक्ष्मी कृपा के ज्योतिषीय आधार

दीपावली महापर्व की परंपरा कब से प्रारंभ हुई है यह बताना व जानना प्रायः दुष्कर है इस दीपावली पर्व परंपरा का इतिहास अलग-अलग ढंग से प्राप्त होता है। हमारी भारतीय संस्कृति वेद प्रधान है। वेदों को लेकर पौराणिक साहित्य में ब्रह्म की चर्चा हुई है। ब्रह्म का दूसरा नाम विद्या भी है। शाक्त संप्रदाय में इस ब्रह्म या विद्या की साधना के दस प्रधान मार्ग बताये गये हैं। यही दस मार्ग हैं- काली, तारा, षोडशी, भुवनेश्वरी, छिन्नमस्ता, भैरवी, धूमावती, बगलामुखी, मातंगी एवं कमला। कमला को ही लौकिक जीवन में महालक्ष्मी के नाम से जाना जाता है। पुराणों मंे समुद्र मंथन की कथा का विस्तार से उल्लेख हुआ है। महालक्ष्मी इसी समुद्र मंथन से प्रकट हुई थीं।

futurepoint-articles

लग्न अनुकूल स्वास्थ्यवर्धक भोजन

अंग्रेजी की एक प्रसिद्ध कहावत है जिसके अनुसार एक मनुष्य का भोजन दूसरे के लिए जहर होता है। इस का निरूपण ज्योतिष शास्त्र भली प्रकार करता है। बारह राशियों की प्रकृति और क्षमता भिन्न है, अतः हर व्यक्ति को निरोग रहने के लिए अपने जन्म लग्न के अनुकूल भोजन को प्राथमिकता देनी चाहिए।

futurepoint-articles

लग्न कुंडली और चलित कुंडली: जानिए कैसे प्राप्त करें अपने जन्म कुंडली से सही भविष्य

जब भविष्यवाणी करने की बात आती है तो भाव चलित कुंडली बहुत महत्वपूर्ण होती है। लोग प्रायः भ्रमित रहते हैं की किस कुंडली का प्रयोग किया जाए क्योंकि कभी कभार दोनों कुंडलियों में ग्रह स्थितियाँ अलग-अलग होती है।

futurepoint-articles

लग्न राशि: व्यक्तित्व का आईना

आधुनिक युग भाग-दौड़ और व्यस्तता का युग है। बढ़ते शहरीकरण ने दुनिया को छोटा और लोगों को एक-दूसरे से अनजान कर दिया है। वर्षों तक साथ रहने पर भी एक परिवार के लोग एक-दूसरे की पसंद नापसंद को अच्छी तरह से नहीं समझ पाते हैं और एक-दूसरे को नहीं समझ पाने की यह स्थिति कई बार परिवार के बिखराव का कारण बन जाती है।

futurepoint-articles

लग्नानुसार कालसर्प योग

मेषादि द्वादश राशियों के लग्न में निर्मित होने वाले कालसर्प योगों का विभिन्न रूपों में अलग अलग प्रभाव होता हैं। मेष तथा वृश्चिक लग्न-मंगल की राशि मेष-वृश्चिक लग्न में जन्मकुंडली में कालसर्प निर्मित हो तो मंगल और राहु दोनों से पीड़ा तथा परेशानियां होती हैं।

futurepoint-articles

लग्नानुसार रत्न चयन

भारतीय ज्योतिषशास्त्र के फलित स्कन्ध के विकास के मूल आधार के रूप में महर्षि पराशर के सिद्ध ान्त के योगदान को एकमत से स्वीकार किया गया है। फलित ज्योतिषशास्त्र के प्रत्येक महत्त्वपूर्ण सिद्धान्त के विषय में महर्षि पराशर के विचारों को विश्वसनीय मार्गदर्शक माना जाता है।

futurepoint-articles

लघुपाराशरी के अनुसार अंतर्दशाफल की मीमांसा

दशाधीश के विरुद्ध फलदायक ग्रहों की अंतर्दशा का फल: लघुपाराशरी के अनुच्छेद 54 के अनुसार अंतर्दशाधीशों को निम्नलिखित आठ वर्गों में वर्गीकृत किया जा सकता है। 1. संबंधी-सधर्मी 2. संबंधी-विरुद्धधर्मी 3. संबंधी-उभयधर्मी 4. संबंधी-अनुभयधर्मी 5. असंबंधी-सधर्मी 6. असंबंधी-विरुद्धधर्मी 7. असंबंधी-उभयधर्मी 8. असंबंधी-अनुभयधर्मी