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लाल किताब के अनुसार राहु-केतु का विष्लेषण

राहु-केतु को सामान्य रूप से छाया ग्रह माना जाता है किंतु लाल किताब के अनुसार ये छाया ग्रह भी अपना शुभ-अषुभ प्रभाव देने में किसी प्रकार पीछे नहीं रहते और उनकी अषुभता का प्रभाव कब पड़ता है और कब नहीं और उन्हें षुभ बनाने के लिए किन वस्तुओं का दान करने से होता है। आइए, जानें इस लेख में।

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लाल किताब के अनुसार शनि का विभिन्न भावों में फल

परंपरागत ज्योतिष एवं लाल किताब दोनों में शनि को सर्वाधिक पापी एवं अशुभ ग्रह माना गया है। किंतु शनि को न्यायाधीश की भी संज्ञा दी गई है। शनि दंडित सिर्फ उसे करते हैं जिसने पाप कर्म किये हों अथवा जो अवैध कार्यों में संलिप्त हो। यदि शनि के पक्के घरों की बात की जाय तो अष्टम, दशम तथा एकादश भाव को शनि का पक्का घर माना जाता है। यद्यपि कि सप्तम भाव में शनि की उच्च राशि पड़ती है किंतु सप्तम भाव पर अधिक प्रभाव बुध एवं शुक्र का होता है।