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राजनीतिज्ञ बनने के ज्योतिषीय कारण

‘‘होनहार बिरवान के होत चिकने पात’’ अर्थात देश काल व परिस्थितियों से जन्म लेते हैं- जनप्रिय राजनीतिज्ञ राजनेता। यही कारण हैं राजनीतिज्ञ बनने के। प्रजातांत्रिक समाज में लोगों की आम समस्याओं एवं उनके समाधान तथा जनहित के विकास कार्यों को शासन से आर्थिक पैकेज दिलाकर अधिकारियों के माध्यम से हल कराने का उरदायित्व चयनित राजनेता का होता है।

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राज्य कर्मचारी और कुछ विषिष्ट ज्योतिषीय योग

पदोन्नति, स्थानांतरण, निलंबन और सेवा समाप्ति जैसी चिन्ताएं सभी कर्मचारियों को परेषान करती हैं लेकिन राज्य कर्मचारियों के मामले में ऐसी स्थितियों के लिए जो ज्योतिषीय योग उतरदायी होते हैं उनके बारे में इस लेख में प्रकाष डाला गया है।

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राजयोग तथा विपरीत राजयोग

फलदीपिका ग्रंथ के अनुसार:- दुःस्थानभष्टमरिपु व्ययभावभाहुः सुस्थानमन्य भवन शुभदं प्रदिष्टम्। (अ. 1.17) अर्थात् ‘‘जन्मकुण्डली के 6,8,12 भावों को दुष्टस्थान और अन्य भावों को सुस्थान कहते हैं।’’ अन्य भावों में केन्द्र (1,4,7,10) तथा त्रिकोण (5,9) भाव विशेष षुभकारी माने गये हैं। इन भावों मे ंस्थित राषियों के स्वामी ग्रह जातक को जीवन में सुख-समृद्धि प्रदान करते हैं। इन षुभ भावों के स्वामियों की षुभ भावों में युति अथवा सम्बन्ध होने पर ‘राजयोग’ का निर्माण होता है, जिसके फलस्वरूप व्यक्ति अपने पुरूषार्थ द्वारा प्रगति और सुख-समृद्धि का उपभोग कर संतोष प्राप्त करता है।

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राशि -ग्रह-नक्षत्र के अनुसार रुद्राक्ष धारण

वर्तमान समय में शुद्ध एवं दोषमुक्त रत्न बहुत कीमती हो चले हैं, जिससे वे जनसाधारण की पहुंच से बाहर है। अतः विकल्प के रूप में रूद्राक्ष धारण एक सरल एवं सस्ता उपाय है। ग्रह राशि नक्षत्र के अनुसार रूद्राक्ष धारण का संक्षिप्त विवरण यहां प्रस्तुत है।