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रक्त चाप

रक्त का संचार होने से जो दबाव रक्त कोशिकाओं पर पड़ता है वही रक्त चाप कहलाता है। रक्त शरीर के पोषक घटकों को सूक्ष्म कोषों तक पहुंचाता है। किंतु रक्त को वहन करने में हृदय और रक्तवाही संस्थान मुख्य भूमिका निभाते हैं। इन दोनों के अलावा एक और घटक है रक्तचाप। रक्त एक निश्चित दबाव से बहता है। हृदय का बायां भाग तेज संकुचित होकर रक्त को महाधमनी में धकेलता है और रक्त वाहिनियों से होकर आगे गतिमान होता है। इसे संकोच कालीन रक्त भार कहते हैं।

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रेकी और प्राणिक हीलिंग में क्या अंतर है?

रेकी चिकित्सा पद्धति में रेकी मास्टर रोगग्रस्त व्यक्ति के शरीर का अपने हाथ से स्पर्श कर इलाज करता है। इसमें रोगग्रस्त व्यक्ति का स्पर्श आवश्यक होता है। इसमें प्राण ऊर्जा को वह व्यक्ति जिसने रेकी सीखी हो चारों ओर फैले हुए वायुमंडल या वातावरण से प्राप्त करके अपने सहस्रार चक्र, आज्ञा चक्र एवं हृदय चक्र से ले जाते हुए अपनी हथेली के माध्यम से अन्य व्यक्ति या रोगी का स्पर्श कर उसके शरीर में प्रवाहित कर देता है। जिसे रेकी दी जाती है वह रोगग्रस्त व्यक्ति ऐसी प्राण ऊर्जा को अपनी ग्रहण शक्ति के अनुरूप प्राप्त कर लेता है।

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रजनीकांत

एक साधारण परिवार में बिन मां के बच्चे को जीवन में जितने संघर्ष करने पड़ते हैं शिवाजी राव गायकवाड यानी रजनीकांत ने उन सबका सामना किया। बचपन से ही रजनीकांत को अभिनय का शौक था। कठिन से कठिन दौर में भी अपने जज्बे को बरकरार रखते हुए उन्होंने रंगमंच पर कई नाटक खेले। कुली, कारपेंटर, बस कंडक्टर और फिर सुपर स्टार के रूप में रजनीकांत के चमत्कारिक सफर को जानते हैं

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रत्न एवं स्वास्थ्य

औषधि मणि मंत्राणां-ग्रह नक्षत्र तारिका। भाग्य काले भवेत्सिद्धिः अभाग्यं निष्फलं भवेत्।। अर्थात- औषधि, रत्न एवं मंत्र ग्रह जनित रोगों को दूर करते हैं। यदि समय सही है तो इनसे उपयुक्त फल प्राप्त होते हैं। लेकिन विपरीत समय में ये भी निष्फल हो जाते हैं। रत्न प्रकृति द्वारा प्रदत्त एक मूल्यवान निधि है। रत्न शब्द का प्रथम प्रमाण ऋग्वेद के श्लोक में मिलता है। रत्न न केवल सौन्दर्य का प्रतीक है वरन यह चिकित्सा पद्धति का भी अंग है। इसका उल्लेख आयुर्वेद की प्रसिद्ध पुस्तक चरक संहिता में हुआ है। आयुर्वेद के अनुसार रोगनाश करने की जितनी क्षमता औषधि सेवन में है उसी के समान रत्न धारण करने में भी है। आचार्य दण्डी रत्न की विशेषता बताते हुए कहते हंै-

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रत्न जिज्ञासा समाधान

मुख्य रत्न नौ ही क्यों है जबकि अनेक प्रकार के और रत्न भी उपलब्ध है? ब्रहमांड में नौ ग्रह जिनका महत्वपूर्ण प्रभाव जातक पर पडता है। इन ग्रहों से निकली रश्मियों को एकत्रित करने की क्षमता नवरत्नों में पाई जाती है, अत: ये रत्न ही प्रमुख रत्न हुए। अन्य रत्न अल्पमात्रा में