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प्रसन्न करें राशि अनुसार लक्ष्मी जी को

आज प्रत्येक व्यक्ति धनवान बनने के लिये क्या कुछ नहीं करता। प्रसिद्धि तथा धन की इच्छा तो रोगी, भोगी, योगी सभी में प्रबलता से विद्यमान रहती है। परंतु सभी व्यक्ति अपने समुचित प्रयासों द्वारा लखपति या करोड़पति नहीं बन पाते। वे अपने भाग्य को कोसते रहते हैं। दीपावली का त्योहार तन (स्वास्थ्य), मन (मनोकामनायें) व धन (पैसा) प्राप्त करने का सुनहरा अवसर प्रदान करता है। दीपावली के दिन को मनोरथ सिद्धि का दिन कहा गया है। इस दिन यंत्र-मंत्र, पूजन व साधना द्वारा देवताओं से मनोकामनायें पूरी करवाई जा सकती हैं। इसी दिन सभी देवता प्रसन्न मुद्रा में होते हैं, अतः मांग लो जो मांगना है। दीपावली के दिन जातक अपने ‘‘प्रसिद्ध नाम’’ के पहले अक्षर से अपनी राशि के अनुसार निम्न उपायों को कर धन धान्य, भाग्य, सुख व समृद्धि प्राप्त कर सकता है:-

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प्राणिक हीलिंग: अर्थ, चिकित्सा एवं इतिहास

प्राणशक्ति को एक प्रकार की सजीव विद्युत शक्ति कहा जा सकता है जो समस्त संसार में वायु, आकाश, गर्मी एवं ईथर-प्लाज्मा की तरह समायी हुई है। यह तत्व जिस प्राणी में जितना अधिक होता है, वह उतना ही स्फूर्तिवान, तेजस्वी, साहसी दिखाई पड़ता है। वस्तुतः प्राणशक्ति एक बहुमूल्य विभूति है।

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प्रारब्ध और भाग्य का खेल

अनुभूति आज बहुत खुश थी। बहुत मन्नत मांगने के बाद आज उसपर ईश्वर की कृपा हुई थी और उसने चांद सी खूबसूरत बेटी को जन्म दिया था। पूरे घर में खुशियां मनाई जा रही थी और बेटी का नाम रखा गया रिदिमा। रिदिमा का लालन-पालन बहुत प्यार से किया जाने लगा। अनुभूति और मनीष उसका हरदम ख्याल रखते।

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परिवर्तनशील समाज

आज का समाज बहुत परिवर्तनशील है। वैसे तो परिवर्तन ही समाज की उन्नति का द्योतक है। निरंतर विकास के लिए हमारे जीवन, जीवन शैली, सामाजिक संबंध, आपसी संबंध और पुरानी परंपरा सभी में परिवर्तन होता रहता है और आज का युवा वर्ग भी यही चाहता है कि पुराने रीति-रिवाज और परंपराएं उन पर जबर्दस्ती थोपी न जाएं और उन्हें अपने जीवन के फैसले स्वयं करने की स्वतंत्रता होनी चाहिए। वे अपने रिश्ते अपने नये मूल्यों पर आंकना चाहते हैं और चाहते हैं कि उनके माता-पिता भी उनकी नयी सोच को स्वीकारें और उनके मापदंडों को अहमियत दें और शायद इसी सोच के कारण हमारा युवा वर्ग भी पश्चिमी समाज की सभ्यता को अपना रहा है।

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प्लूटो अब केवल लघु ग्रहों की श्रेणी में

24 अगस्त 2006 को प्राग अंतर्राष्ट्रीय खगोल संघ ;प्दजमतदंजपवदंस ।ेजतवदवउपबंस न्दपवदद्ध के 2500 से अधिक खगोलविदों के पुनर्विचार एवं पुनर्परिभाषा के कारण प्लूटो को अब केवल लघु ग्रहों की श्रेणी में स्थापित कर दिया गया है। पहले भी 1801 में सेरेस नामक लघु ग्रह ;।ेजमतवपकद्ध की खोज हुई थी और उस समय इसे आठवें ग्रह के रूप में स्थापित किया गया था। बीस वर्ष पश्चात यूरेनस की खोज हुई और उसके बाद अन्य अनेक नए ग्रहों की। लगभग 1850 में सेरेस को भी ग्रह की श्रेणी से हटाकर उल्का पिंड की श्रेणी में डाल दिया गया था।

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पवार हाउस का पावर गेम

पवार हाउस का पावर गेम आभा बंसल महाराष्ट्र की आधुनिक राजनीति में शरद राव पवार मुख्य हीरो की भूमिका में हैं। इन्होंने उद्धव ठाकरे को वादा किया कि वे उन्हें महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री बनाने मे सहयोग करेंगे। यह बेहद जटिल कार्य था लेकिन इन्होंने अपनी सूझ-बूझ का परिचय देकर अपने मनसूबों को अन्जाम तक पहुंचाया और महाराष्ट्र की राजनीति में उस ठाकरे परिवार को शीर्ष पर पहुंचाया जिसके पास महाराष्ट्र की सरकार का रिमोट कंट्रोल हुआ करता था। शिवसेना के संस्थापक बाला साहेब ठाकरे महाराष्ट्र के (नदबतवूदमक ापदहद्ध कहे जाते थे। आज बाला साहेब ठाकरे के पुत्र को किंग बनाकर ये महाराष्ट्र की राजनीति के चाणक्य के रूप मे उभरे हैं। आधुनिक महाराष्ट्र सरकार का रिमोट कंट्रोल इन्हीं के हाथ में रहेगा। महाराष्ट्र की राजनीति में 23 नवंबर 2019 की सुबह एक ऐसा सियासी भूचाल आया जिसे आने वाले कई दशकों तक याद रखा जायेगा। 23 नवंबर को अजित पवार ने अपने चाचा शरद पवार का दामन छोड़ अपने विधायक साथियों के साथ बी. जे. पी. ज्वाइन कर ली और तुरंत ही उपमुख्यमंत्री की शपथ भी ले ली। अबसे लगभग 41 साल पहले 1978 में कुछ-कुछ इसी परिस्थिति में एन. सी. पी. के वर्तमान प्रमुख शरद पावर भी पहली बार मुख्यमंत्री बने थे। जुलाई 1978 में शरद पवार ने कांग्रेस यू पार्टी को तोड़कर जनता पार्टी के साथ मिलकर गठबंधन सरकार बनाई थी और 37 साल की उम्र में वे सबसे युवा मुख्यमंत्री बन गये थे। अब उनके भतीजे अजित पवार ने उनसे अलग राह पकड़ कर उप मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। हालांकि वे अपनी पोस्ट का लुत्फ केवल 2 दिन ही उठा पाए और उन्होंने 25 तारीख को ही इस्तीफा दे दिया और वापिस पवार खेमें में लौट गये और शरद पवार के साथ हाथ मिला लिया। शरद पवार राजनीति के मझे हुए खिलाड़ी हैं वे तीन अलग-अलग समय पर महाराष्ट्र राज्य के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। एक प्रभावशाली नेता के रूप में अपनी पहचान बनाने वाले शरद पवार केंद्र सरकार में भी रक्षा और कृर्षि मंत्री रह चुके हैं। पहले वे कांग्रेस पार्टी में थे पर सन 1999 में उन्होंने अपने राजनीतिक दल नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी (एन. सी. पी.) की स्थापना की राष्ट्रीय राजनीति और महाराष्ट्र के क्षेत्रीय राजनीति में उनकी गहरी पकड़ है। राजनीति के साथ-साथ वे क्रिकेट प्रशासन से भी जुड़े हुए हैं। सन् 2005 से 2008 तक भारतीय क्रिकेट कन्ट्रोल बोर्ड के अध्यक्ष और सन् 2010 से 2012 तक अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट कौंसिल के भी अध्यक्ष थे। जून 2015 में मुंबई क्रिकेट ऐसोसियेशन के दुबारा सेे अध्यक्ष बनाए गए। राजनीति के दाव-पेंच शरद पवार जी ने महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री यशवंत राव चैहान से सीखे। सन् 1967 मे शरद पवार कांग्रेस पार्टी के टिकट पर बारामती विधान सभा क्षेत्र से चुनकर पहली बार महाराष्ट्र विधान सभा पहुंचे। 1978 में कांग्रेस छोड़कर जनता पार्टी के साथ मिलकर सरकार बनाई और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बनें। 1987 में फिर से कांग्रेस पार्टी में वापिस आ गये 1989 के लोक सभा चुनाव के बाद जब भारतीय जनता पार्टी गठबंधन ने कांग्रेस को कड़ी टक्कर दी तो शरद पवार ने 12 निर्दलीय विधायकों से समर्थन लेकर सरकार बनायी और फिर से मुख्यमंत्री बनें। 1993 में एक बार फिर वे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बने पर उन पर भ्रष्टाचार और अपराधियों से मेल-जोल के आरोप लगे जिससे इनकी राजनीतिक साख भी गिरी और 1995 विधान सभा चुनाव के बाद उन्हें इस्तीफा देना पड़ा। और 1996 के लोक सभा चुनाव तक वे विपक्ष के नेता रहे। 1999 में उन्होंने अपनी नयी पार्टी एन. सी. पी. बनाई। 2004 के लोक सभा चुनाव के बाद शरद पवार यू. पी. ए. गठबंधन सरकार में शामिल हुये और कृर्षि मंत्री बनाये गये। सन् 2012 में उन्होंने 2014 का चुनाव न लड़ने का ऐलान किया ताकि युवा चेहरो को मौका मिल सके लेकिन एन सी. पी. के अध्यक्ष के नाते राजनीति में अपनी पकड़ को मजबूत रखा। राजनीति व खेल दोनों में दाव पेंच लगाने व बिगड़ती बाजी को अपने पक्ष में करने की कला में वे माहिर हैं। आइये जाने ज्योतिष के आइने से कि कौन से ग्रह शरद पवार को पावर देने का कार्य कर रहे हैं। ज्योतिषीय विश्लेषण: शरद पवार का जन्म 12 दिसंबर 1940 को सुबह 7 बजे बारामती (महाराष्ट्र) में हुआ था। इनकी जन्मकुंडली में वृश्चिक लग्न में दशमेश सूर्य अष्टमेश से संयुक्त है जिसके फलस्वरूप ये सफल कूटनीतिज्ञ व सफल राजनीतिज्ञ हैं। चंद्रकुंडली में गुरु, शनि व चंद्र की युति भी इन्हें कूटनीतिज्ञ व सफल प्रशासक बनाती है। चंद्रकुंडली का पंचमेश, दशमेश होकर जन्म लगन में बुद्धि के कारक बुध से संयुक्त है तथा पंचम भावस्थ केतु व पंचमेश का गजकेसरी योग से संपन्न होना इन्हें प्रखर बुद्धिमान बनाता है। छठे घर (शत्रु भाव) पर पांच ग्रहों का प्रभाव तथा छठे से छठे घर में राहु की स्थिति शत्रुपक्ष पर भारी पड़ने तथा चुनावी दंगल में विजयी होने के लिए श्रेष्ठ योग है। ग्यारहवें भाव में राहु की स्थिति के कारण इनके मित्रों की संख्या अत्यधिक है और अपने राजनैतिक प्रतिद्वंदियों को भी अपना मित्र बना लेते हैं। इनके मित्र सभी राजनैतिक दलों में हैं। राहु की श्रेष्ठ स्थिति राजनीति के क्षेत्र में उच्च कोटि की सफलता दिलाती है। इनका एकादश भाव का राहु शुभ होने के कारण 1978 में राहु की महादशा व शुक्र की अंतर्दशा के समय उच्च राशि के भाग्य भाव में तथा शनि के दशम भाव में गोचर के समय इन्हें मात्र 37 वर्ष की अवस्था में महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री बनने का गौरव प्राप्त हुआ। 1984 में इन्होंने पहली बार लोक सभा चुनाव जीता था, उस समय गोचरीय शनि उच्चराशिस्थ थे तथा गुरु दशम भाव पर दृष्टि डाल रहे थे। मार्च 1985 में इनके पराक्रम भाव पर गुरु व शनि दोनों का संयुक्त गोचरीय प्रभाव था जबकि राहु छठे भाव में गोचर कर रहा था। इस जबरदस्त पराक्रम योग के फलस्वरूप ये विधान सभा में विरोधी दल के नेता चुने गए। फरवरी 1990 में धनेश की महादशा व अष्टमेश की अंतर्दशा में धन भाव व अष्टम भाव पर गुरु व शनि के गोचरीय प्रभाव तथा पराक्रम भाव पर राहु के गोचर के समय ये पुनः महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री चुने गए। 1995 के चुनावों में यद्यपि मुख्यमंत्री का पद इनके हाथ से निकल गया परंतु विरोधी दल के नेता चुने गए। इस समय गुरु की दशा में लग्न पर शनि व गुरु का गोचरीय प्रभाव था। 1998 में ये 12वीं लोकसभा में विरोधी दल के नेता बने। इस समय इनकी साढ़ेसाती चल रही थी। साढ़ेसाती के समय राजनेता को बड़ी जिम्मेदारी मिलती है। इस समय दशम भाव में राहु गोचर कर रहा था तथा गोचरीय गुरु की दृष्टि दशम भाव पर थी। 2004 में तथा 2009 में पुनः इन्हें यू. पी. ए. सरकार में कृर्षि मंत्री का पद प्राप्त हुआ। 2004 में दशम भाव पर गुरु व शनि का संयुक्त गोचरीय प्रभाव था। 2009 में दशम भाव पर शनि का गोचर चल रहा था। अभी वर्तमान समय में लग्नस्थ अष्टमेश बुध की दशा चल रही है तथा धन भाव पर अनेक ग्रहों का गोचरीय प्रभाव आ रहा है जो इनके लिए पद प्रतिष्ठा प्राप्ति कारक है। इसलिए उद्धव सरकार का रिमोट कंट्रोल इनके हाथ में आ गया। वर्ष 2020 से 2023 के मध्य इनका राजनीतिक रूतबा बढ़ेगा परंतु स्वास्थ्य में यदा कदा परेशानियां आती रहेंगी।