कर्म आदि से निवृत्ति होकर कच्चे दूध
और गंगाजल से अंगूठी को धोकर
निम्नलिखित मंत्र के उच्चारण के
साथ धारण करनी चाहिए-
‘‘ ऊँ ब्रां ब्रीं ब्रौं सः बुधाय नमः’’
पुखराज
पुखराज पीले, लाल तथा सफेद
रंग में भी पाया जाता है। असली
पुखराज को यदि कांच के गिलास
में गाय का दूध भर कर डाल दें, तो
एक घंटे बाद पुखराज के रंग की
किरणें ऊपर सतह तक जाती प्रतीत
होती है। इसे गुरुवार को दिन में
सोने की अंगूठी में, धनु, अथवा मीन
लग्न में धारण करना चाहिए।
फ्यूचर पाॅइन्ट | 15-Jul-2016
Views: 7527