For Any Query About Software
Call: +91-9773650380(Anil)

All Articles

Read Articles in English
futurepoint-articles

न्यायकारी और ज्ञान-वैराग्य प्रदायक शनि देव

केतु और उच्च शनि की दृष्टि है। केतु की द्वादश (मोक्ष) भाव पर भी दृष्टि है। शनि अष्टम (गुप्त विद्या) भाव में उच्चस्थ होकर पंचम भाव स्थित उच्च ज्ञानकारक बृहस्पति पर दृष्टिपात कर रहा है। नवमांश में चंद्र व शनि की युति गहरी साधना, तप तथा ध्यान दर्शाती है।

futurepoint-articles

नव रत्न - एक अवलोकन

कर्म आदि से निवृत्ति होकर कच्चे दूध और गंगाजल से अंगूठी को धोकर निम्नलिखित मंत्र के उच्चारण के साथ धारण करनी चाहिए- ‘‘ ऊँ ब्रां ब्रीं ब्रौं सः बुधाय नमः’’ पुखराज पुखराज पीले, लाल तथा सफेद रंग में भी पाया जाता है। असली पुखराज को यदि कांच के गिलास में गाय का दूध भर कर डाल दें, तो एक घंटे बाद पुखराज के रंग की किरणें ऊपर सतह तक जाती प्रतीत होती है। इसे गुरुवार को दिन में सोने की अंगूठी में, धनु, अथवा मीन लग्न में धारण करना चाहिए।