For Any Query About Software
Call: +91-9773650380(Anil)

All Articles

Read Articles in English
futurepoint-articles

न घर का न घाट का

बचपन से मस्तमौला जीवन जीने वाले चेतन को उसके माता-पिता ने परिणय सूत्र में बांध उसके जीवन में स्थायित्व लाने का प्रयत्न किया। लेकिन उसके अस्थिर मन ने एक पत्नी को छोड़ दूसरी का हाथ थाम लिया, उसके बाद भी उसे वैवाहिक जीवन का सुख क्यों नहीं मिल पाया, प्रस्तुत है इसका ज्योतिषीय विश्लेषण...

futurepoint-articles

नक्षत्र एवं संबंधित दान

- अश्विनी नक्षत्र में कांस्य पात्र में घी भरकर दान करने से रोग मुक्ति होती है। - भरणी नक्षत्र में ब्राह्मण को तिल एवं धेनु का दान करने से सद्गति प्राप्त होती है व कष्ट कम होता है। - कृतिका नक्षत्र में घी और खीर से युक्त भोजन ब्राह्मण व साधु संतांे को दान करने से उत्तम स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है।

futurepoint-articles

नक्षत्रों के अवस्था अनुसार शनि ग्रह का विशेषफल

शनि ग्रह का उपरोक्त बारह अवस्थाओं में स्थित होने का फल निम्न प्रकार होता है: 1). शयनावस्था में शनि ग्रह हो तो: व्यक्ति सदा असंतोषी, असंतुष्ट रहता है। युवावस्था तक कुछ न कुछ रोग रहता है तथा युवावस्था के बाद सफल व भाग्य का साथ पाने वाला होता है। 2) उपवेशनावस्था में शनि हो तोः व्यक्ति मोटे सूजे या वायु विकार से युक्त पैरों वाला, चर्मरोगों से पीड़ित, राज्य से धन हानि, पिता के लिए हानिकारक व नित्य पीड़ित होता है। 3) नेत्रपाणि में शनि हो तो:

futurepoint-articles

नक्षत्रों का ज्योतिषीय विवरण

वैदिक काल में वार के स्थान पर नक्षत्र दिवस के प्रयोग की परम्परा नक्षत्र ज्ञान की प्राचीनता का साक्षात उदाहरण हैं। शास्त्रों से विदित होता हैं। उस काल में वर्तमान व् भविष्य के दिशा निर्देशन या फलादेश में राशियों की जगह नक्षत्रों या तारों को ही मुख्य रूप से प्रधान व् प्रभावकारी माना जाता था।