भारतीय प्राच्य विद्याओं का अत्यंत
विस्तृत इतिहास रहा है। देश, काल
और परिस्थितियों के परिवर्तन के
फलस्वरूप जहां एक ओर अनेक
नवीन विधाओं का प्रचार-प्रसार बढ़ा
वहीं अनेकानेक प्राच्य विद्याएं लुप्त
होने के कगार पर आ गईं। इसका
मुख्य कारण ये रहा कि ये विद्याएं
अचूक परिणाम देती थीं
कौलाचार्य जगदीशानन्द तीर्थ | 15-Dec-2015
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