For Any Query About Software
Call: +91-9773650380(Anil)

All Articles

Read Articles in English
futurepoint-articles

द्वादश भावों में राहु का फल

राहु आलस्य, अस्थिरता, स्थावर संपत्ति, योगाभ्यास, उदर रोग, वाहन, जन नेता, विधान/लोक सभा पद, कूटनीति, राजदूत आदि का कारक है। 3, 6, 11 भावों में यह कारक ग्रह है। नवग्रहों में राहु एक छाया ग्रह है। राहु से पितामह का विचार किया जाता है। प्रस्तुत है द्वादश भावों में राहु की स्थिति का फल -

futurepoint-articles

देवानंद

बाॅलीवुड में यूं तो कई नायकों का दौर आया और गया, लेकिन जो छवि देवानंद ने अपने चाहने वालों के दिल में छोड़ी वह आज भी बरकरार है। वे जब तक जीवित रहे सिनेमा के प्रति समर्पित रहे। उनका मानना था कि जिंदगी की हर सुबह एक नया पन्ना खोलती है और इसी खूबसूरत ख्याल के साथ वे 88 वर्ष तक जिंदगी का साथ निभाते रहे।

futurepoint-articles

दशाफल में अपवाद के अन्य नियम

पिछले लेख में बतलाया गया है कि पापी, मारक एवं पूरक ग्रह निरंकुश होते हैं। इनकी निरंकुशता को नियमानुकूल बनाने के लिए अपवाद नियमों का लघुपाराशरी में प्रतिपादन किया गया है। क्योंकि शास्त्र परस्पर विरोधी तत्वों एवं तथ्यों को समन्वय के सूत्र से बांध कर अनुशासित करता है। अतः प्रत्येक नियम, वाद एवं सिद्धांत का अपवाद भी होता है।

futurepoint-articles

दशाफल में अपवाद के नियम

मिश्रफल: साधारण दृष्टि से मिश्रफल का अर्थ होता है मिलाजुला या मिश्रित फल। यदि मिश्रफल का अर्थ मिलाजुला या मिश्रित फल मान लिया जाए तो इस अध्याय की श्लोक संख्या 37, 38, 39, 40 एवं 41 में केवल श्लोक संख्या 38 में एक स्थान पर ‘भवन्ति मिश्रफलदा’ वाक्यांश मिश्रित या मिलेजुले फल का प्रतिपादक है और इस वाक्यांश को छोड़कर इस पूरे अध्याय में कहीं भी मिश्रफल की चर्चा नहीं मिलती।

futurepoint-articles

दूषित गजकेसरी योग धमान नहीं वजन बढ़ता है

भारतीय ज्योतिष में मान, सम्मान, समृद्धि कारक योगों में ‘गजकेसरी योग’ का विशिष्ट स्थान है। यह योग बृहस्पति और चंद्रमा की परस्पर केंद्र स्थिति से बनता है (केंद्र स्थिते देवगुरौ) मृगांकात योस्तदाहुगर्जकेसरीति। जातक परिजात, ;टप्प्ए प्प्6 द्ध लगभग 30 प्रतिशत कुंडलियों में यह योग पाया जाता है।

futurepoint-articles

दूसरी मंजिल

हर व्यक्ति के जीवन में कुछ सपने होते हैं और उन सपनों को पूरा करने की चाह में वह दिन रात एक कर देता है क्योंकि ये सपने, ये आकांक्षाएं ही हमें कुछ कर गुजरने की प्रेरणा देते हैं और जब हम अपनी मंजिल पा लेते हैं तो लगता है कि पूरा जहां हमारी मुट्ठी में आ गया । लेकिन कभी-कभी अपनी मंजिल पा कर भी हम खुश नहीं हो पाते तो जीवन अर्थहीन सा लगने लगता है। जीवन में एक पड़ाव या एक मंजिल ही सबकुछ नहीं होता और जिंदगी रूकती नहीं क्योंकि मंजिलें और भी हैं।