
हृदय रोग से बचाव के उपाय
मानव चाहे कितना भी प्रयास कर
ले, चाहे अच्छे से अच्छे वातावरण
में रह ले, चाहे अच्छे से अच्छा भोजन
कर ले, अच्छे से अच्छा वस्त्र पहन ले,
फिर भी जीवन में कभी न कभी, किसी
न किसी रोग से ग्रसित हो ही जाता
है। अब चाहे रोग अल्पकालिक हो या
दीर्घकालिक। अल्पकालिक रोग तो कुछ
दिनों के उपचार से ठीक हो जाता है
परंतु दीर्धकालिक रोग मानव के जीवन
को नरक बना देते हैं। ज्योतिष शास्त्र
के अनुसार ये रोग मानव के अपने ही
कर्मों का परिणाम होते हैं, अब चाहे ये
कर्म इस जन्म के हों या पिछले जन्म
के। हृदय रोग भी ऐसा ही दीर्घकालिक
रोग है, एक बार लग गया तो जीवन
भर मानव के जी का जंजाल बन जाता
है। रोग निवारण की दवा भी जीवनपर्यंत
लेनी पड़ जाती है। अब हृदय रोग किसी
जातक को क्यांे होता है, इसके क्या
कारण होते हैं - इन पर ज्योतिष शास्त्र
में विस्तार से लिखा गया है कि प्रत्येक
रोग किसी न किसी ग्रह से संबंधित होता
है जिसका पता जातक की जन्म कुंडली,
राशि चार्ट, हस्त रेखा, वास्तु शास्त्र या
फिर अंक विज्ञान से किया जा सकता
है। ये ग्रह चाहे अनुकूल हों या प्रतिकूल,
प्रत्येक दशा में मानव को प्रभावित करते
ही हैं। ग्रह यदि अनुकूल हैं तो उसके
उपाय करके रोग निवारण में मदद ली
जा सकती है और ग्रह यदि प्रतिकूल हों
तो वह रोग संबंधित अनिष्ट फल ही
देते हंै। इसलिये अनुकूल ग्रह को ज्यादा
अनुकूल बना कर और प्रतिकूल ग्रह को
उचित उपायों से बेहतर कर के मानव के
रोग संबंधित अनिष्ट समय को काटा जा
सकता है। एक बात जान लेनी चाहिये
कि ग्रह हर हाल में फल देते हैं, केवल
पूजा व दानादि से उसके फल को कम
या अधिक किया जा सकता है।
संजय बुद्धिराजा | 15-Jul-2017
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