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सिर दर्द

Prevention is better than cure अर्थात उपचार से बेहतर है सुरक्षा। मनुष्य को रोग का पूर्वाभास हो जाता है क्योंकि रोग आने से पहले मानव शरीर में कुछ ऐसे लक्षण उत्पन्न हो जाते हैं जिनसे उसे आभास हो जाता है कि रोग उसके द्वार पर दस्तक दे रहा है। ऐसा ही एक रोग है ‘सिर दर्द’ जो रोगों के आने का सूचक है। सिर दर्द एक ऐसा विकार है जो लगभग सभी में कम या अधिक मात्रा में होता है जिसकी ओर हम अक्सर ध्यान नहीं देते। मस्तिष्क की

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सिंहस्थ गुरु एवं कुम्भ स्नान

कुंभ और मेष राशि में सूर्य होने पर हरिद्वार में, मेष राशि में गुरु और मकर राशि में सूर्य होने पर प्रयाग तथा सिंह राशि में गुरु और मेष राशि में सूर्य होने पर उज्जैन में कुंभ पर्व होता है। सिंह राशि में गुरु और सिंह राशि में ही सूर्य जब होता है, तब नासिक पंचवटी में सिंहस्थ महाकुंभ पर्व मनाया जाता है।

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सीमा का वहम

आप सभी के संपर्क में कभी न कभी ऐसा व्यक्ति अवश्य आया होगा जिसे वहम की बीमारी होती है। यह बीमारी किसी भी तरह की हो सकती है। कुछ लोग लगातार हाथ धोते रहते हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि हाथ गंदे हैं। इसी तरह कुछ बार-बार ताले को चेक करते हैं कि कहीं खुला तो नहीं रह गया या फिर बार-बार सफाई इस हद तक करते हैं कि घर में जीना दुश्वार हो जाता है।

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सोने-चांदी में तेजी ला रहे हैं गुरु और शुक्र

अर्थशास्त्र के प्रथम सिद्धांतों में वणिकवाद आता है। पूर्व मंे वणिकवादियों का नारा था सोना और अधिक सोना। वणिकवादी स्वर्ण व्यापार एवं स्वर्ण लाभ को ही अपना ध्येय एवं सिद्धांत मानते थे। यह घटना आज से 500 वर्ष पूर्व की है पर आज इसकी सत्यता को पूरा करने में पाश्चात्य देश लगे हुए हैं। इसका प्रभाव भारत पर भी पड़ रहा है।

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सौन्दर्य का आधार- स्वर्णिम अंक

किसी व्यक्ति को देखते ही उसके स्वरूप की ओर हम आकर्षित हो जाते हैं और किसी को देखकर हम अपना मुंह मोड़ लेते हैं। कोई व्यक्ति स्त्री या पुरुष सुन्दर क्यों लगता है और वह न केवल हमारे लिए अपितु सभी के लिए आकर्षण का केन्द्र क्यों होता हैघ् सुन्दरता को कैसे माप सकते हैं घ् गणित में इसका मूल सिद्धान्त स्वर्णिम अंक (Golden Number) के रूप में छिपा है।

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हृदय रोग

हृदय हमारे शरीर का महत्वपूर्ण अंग है जिसकी हर धड़कन जीवन है। जीवन भर शरीर को सक्रिय रखने के लिए प्रकृति ने उसे विशेष ढंग से बनाया है। किंतु कुछ शारीरिक एवं मानसिक कारणों से जब यह विकारग्रस्त होता है तो रोग उत्पन्न होते हैं, जो इंसान के लिए हानिकारक तो होती ही हैं साथ ही जानलेवा भी।

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हृदय रोग के ज्योतिषीय कारण

ज्योतिष में काल पुरुष के अंगों में चार अंक की राशि कर्क को हृदय का स्थान माना जाता है एवं वहीं पांच अंक की राशि सिंह हृदय का सूचक मानी जाती है। अतः जहां भी हृदय की बात उठेगी, वहां कर्क एवं सिंह राशि, चंद्र एवं सूर्य ग्रह की बात अवश्य ही उठेगी। इन चार अंगों के साथ-साथ किसी भी व्यक्ति की कुंडली में चतुर्थ भाव, पंचम भाव, चतुर्थ एवं पंचम के स्वामी अगर अशुभ ग्रहों की दृष्टि, या साथ की वजह से दूषित होते हंै, तो हृदय में रोग हो सकता है।