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शेयर बाजार में मंदी-तेजी

ग्रहों की गोचर स्थिति सूर्य 17 सितंबर को 6 बजकर 11 मिनट पर सिंह राशि से कन्या राशि में प्रवेश करेगा। मंगल 5 सितंबर को 2 बजकर 33 मिनट पर तुला राशि से वृश्चिक राशि में प्रवेश करेगा। बुध 21 सितंबर को 2 बजकर 13 मिनट पर कन्या राशि से तुला राशि में प्रवेश करेगा। गुरु मासभर कर्क राशि में गोचर करेगा। शुक्र 1 सितंबर को 3 बजकर 14 मिनट पर कर्क राशि से सिंह राशि में प्रवेश करेगा।

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श्रेष्ठतम ज्योतिषी बनने के ग्रह योग

करियर परिचर्चा लेख शृंखला की इस कड़ी में ‘‘सफल भविष्यवक्ता बनने के गह योग’’ विषय पर चर्चा की जा रही है जिससे आप यह जान सकेंगे कि किस प्रकार के ग्रह योग जातक को श्रेष्ठ ज्योतिषीय सलाहकार बना सकते हैं। जो लोग ज्योतिष नहीं जानते वे जान सकेंगे कि व्यक्ति स्वयं कुछ नहीं करता अपितु ग्रह योग ही उसे एक विशेष दिशा की ओर अग्रसर कर देते हैं व जो ज्योतिष सीख रहे हैं वे विभिन्न ग्रहयोगों के बारे में ज्ञान प्राप्त कर सकेंगे और जो ज्योतिष जानते हैं उनके लिए यह आलेख एक पुनराभ्यास का कार्य करेगा।

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श्राद्ध कर्म: कब, क्यों और कैसे?

भारतीय शास्त्रों में ऐसी मान्यता है कि पितृगण पितृपक्ष में पृथ्वी पर आते हैं और 15 दिनों तक पृथ्वी पर रहने के बाद अपने लोक लौट जाते हैं। शास्त्रों में बताया गया है कि पितृपक्ष के दौरान पितृ अपने परिजनों के आस-पास रहते हैं इसलिए इन दिनों कोई भी ऐसा काम नहीं करें जिससे पितृगण नाराज हों। पितरों को खुश रखने के लिए पितृ पक्ष मंे कुछ बातों पर विशेष ध्यान देना चाहिए।

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श्री कृष्ण जन्मांग

यह सर्वविदित है की श्री कृष्ण का जन्म भाद्र कृष्ण अष्टमी को मथुरा में हुआ. जैसा ग्रंथों में विदित है, विक्रमादित्य संवत २०६१ में श्री कृष्ण के जन्म से ५२३० वर्ष बीत चुके हे. ज्योतिष कम्प्यूटर प्रोग्राम लियो गोल्ड एवं पाम कंप्यूटर प्रोग्राम लियो पाम द्वारा गणित करने पर श्री कृष्ण

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श्री गणेश परिवार

गणेश जी के पिता - गणेश के पिता हैं- ‘शिव’। ‘शिव’ का अर्थ है- कल्याण। पिता कल्याण है और पुत्र विघ्नान्तक और कल्याण का उपस्थापक। इसका रहस्य यह है कि शिवतत्व की प्राप्ति के अनन्तर साधक के साधन-मार्ग की समस्त विघ्न-बाधाएं स्वतः ही नष्ट हो जायेंगी और विघ्न-बाधाओं के नष्ट होते ही साधक को अनंत ऋद्धियां एवं सिद्धियां प्राप्त हो जायेंगी। शिवत्व प्राप्त होने पर मायिक बंधन रूपी विघ्नों के महाध्वंस रूप गणेश का प्रादुर्भाव होगा।

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श्री राम का जन्मदिवस

बालकांड सर्ग १८ श्लोक ८, ९ और १० में महर्षि वाल्मीकि नए उलेख किया है की श्री राम का जन्म चैत्र शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को अभिजित मुहूर्त में मध्याहन में हुआ। उस समय पांच ग्रह सूर्य, शनि, गुरु, शुक्र एवं मंगल अपनी उच्च राशि में स्थित थे और कर्क लग्न पूर्व में उदय हो रहा था। पुनर्वसु नक्षत्र उदित था।