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विराट भारत का विराट

क्रिकेट के विराट जगत में विराट कोहली का नाम सर्वाधिक विराट है। गांगुली, सचिन और धोनी के बाद वो एकमात्र भारतीय क्रिकेटर हैं जिन्होंने तीन या उससे ज्यादा लगातार सालों में हर साल 1000 से ज्यादा वन-डे रन बनाए हैं। ट्वेंटी-ट्वेंटी विश्व कप में अपने धमाकेदार फाॅर्म की बदौलत विराट आईसीसी ट्वेंटी-ट्वेंटी रैंकिंग में दुनिया के नबंर-1 बल्लेबाज बन गये हैं। अपने छोटे से करियर में विराट ने कई बड़े रिकाॅर्ड अपने नाम किए हैं। वो वनडे में भारत के लिए सबसे तेज शतक जड़ने वाले खिलाड़ी बने, दुनिया मंे सबसे जल्दी 17 वन-डे शतक लगाने वाले खिलाड़ी बने, फिर सबसे जल्दी 19 वन-डे शतक लगाने में भी वो सबसे आगे रहे। आज उनके वन-डे क्रिकेट में 20 शतक हैं जो उन्होंने महज 140 मैचों में बनाए हैं। तमाम अन्य रिकाॅडर््स के अलावा विराट को 2012 में आईसीसी वन-डे प्लेयर आॅफ द इयर के अवाॅर्ड से नवाजा गया जबकि 2013 में उन्हें भारत सरकार ने पद्मश्री सम्मान से भी नवाजा।

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विवाह आयु-खंड निर्धारण

दो परस्पर विरुद्ध स्वभाव की मौलिक शक्तियों के मध्य सम्बन्ध स्थापित होना ही विवाह है। जहाँ प्राचीन युग में कुटुंब को देखकर विवाह निश्चित किया जाता था, वहीं आधुनिक युग में जातक के आर्थिक स्तर को अधिक महत्व दिया जा रहा है। आजकल के प्रतिस्पर्धात्मक युग में जातक को अपना आर्थिक स्तर मजबूत करने में समय लगता है जो साधारणतया एक सुदृढ़ शैक्षणिक योग्यता के पश्चात् ही संभव हो पाता है।

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विवाह के प्रकार

विवाह जातक के जीवन काल की सबसे महत्वपूर्ण स्मरणीय घटना होती है। हमारे भारत देश में लड़के और लड़के के माता-पिता के आपसी संपर्क व सहयोग से धार्मिक व सामाजिक रीति-रिवाजों के अनुसार विवाह होते हैं। विवाह मानव जीवन में एक अपरिहार्य संस्कार है। विवाह के पश्चात ही एक पुरूष को एक स्त्री के साथ रहने का वैध अधिकार प्राप्त होता है। ब्राह्मणों दैवस्तयैवार्थः प्राजापत्यस्तथासुरः। गान्धर्वो राक्षसश्चैव पैशाचश्चाष्टमोऽधयः।।

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विवाह के लिए विशेष महत्वपूर्ण हैं गुरु, शुक्र एवं मंगल

हमारे शास्त्रों में 16 संस्कार बताये गये हैं जिनमें विवाह सबसे महत्वपूर्ण संस्कार है। हमारे समाज में जीवन को सुचारू रूप से चलाने एवं वंश को आगे बढ़ाने के लिए विवाह करना आवश्यक माना गया है। जब हम कुंडली में विवाह का विचार करते हैं तो उसके लिए नौ ग्रहों में सबसे महत्वपूर्ण ग्रह गुरु, शुक्र और मंगल का विश्लेषण करते हैं। इन तीनों ग्रहों का विवाह में विशेष भूमिका होती है। यदि किसी का विवाह नहीं हो रहा है या दांपत्य जीवन ठीक नहीं चल रहा है तो निश्चित रूप से कहा जा सकता है कि उसकी कुंडली में गुरु, शुक्र और मंगल की स्थिति ठीक नहीं हैं।

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विवाह बाधा योग एवं समाधान

विवाह बंधन एक ऐसा मधुर बंधन है जिसमें प्रत्येक व्यक्ति बंधना चाहता है। किंतु ऐसा नहीं है कि हर एक को विवाह से खुशियां प्राप्त हो ही जाए। हम अपने जीवन में आए दिन देखते हैं कि विवाह के बंधन में बंधे हुए अनेक व्यक्ति इतनी जोर से छटपटा रहे होते हैं कि चाहते हैं कि अभी यह बंधन टूटे और जंजाल से जान छूटे और वे आजाद हो जाएं।

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विवाह में खलनायक मांगलिक दोष

जातक की कुंडली में मंगल ग्रह की लग्न, चंद्रमा तथा शुक्र से विषेष भावों में उपस्थिति कुंडली में मांगलिक दोष उत्पन्न करती है। जिन जातकों की कुंडली में मंगल दोष होता है उनके विवाह के पष्चात् पति या पत्नी को स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ता है जिसके कारण वैवाहिक सुख में कमी हो सकती है, विवाह में विलंब हो सकता है अथवा किसी एक की आयु की हानि भी हो सकती है । कन्या का वैधव्य योग भी इससे देखा जाता है। इसी कारण मंगल दोष को वैवाहिक जीवन के लिए अच्छा नहीं माना जाता है।

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विवाह में मंगल दोष

जन्मकुंडली में स्थित मंगल वैवाहिक संबंधों को बहुत प्रभावित करता है इसलिए कुंडली मिलान के समय मंगल दोष पर विशेष रूप से विचार किया जाता है। मंगली कन्या के लिए मंगली वर और मंगली वर के लिए मंगली कन्या ढूंढते-ढूंढते कई बार विवाह की उम्र भी पार हो जाती है। इस आलेख में विभिन्न भावों में मंगल के प्रभाव एवं उसके दोष परिहार की जानकारी दी जा रही है...

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विवाह में मुहूर्त का महत्व

जब सूर्य, चंद्र एवं गुरु इन तीनों महत्वपूर्ण ग्रहों की शुभ गोचर स्थिति को ध्यान में रखते हुए शुद्ध विवाह मुहूर्त दिन का विचार कहते है, तो इसे त्रिबल –शुद्धि विचार किया जाता है. वर की जन्म राशि से सूर्य व् चंद्र का बल तथा कन्या की जन्म राशि से गुरु व् चंद्र का बल विशेष रूप से देखा जाता है...

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विवाह में विलंब के कारण

ज्योतिष शास्त्र की दृष्टि से विवाह में विलम्ब होने के प्रमुख कारण हैं जन्म कुण्डली के सप्तम भाव में अशुभ, अकारक एवं क्रूर ग्रहों का स्थित होना तथा सप्तमेश एवं उसके कारक ग्रह बृहस्पति/ शुक्र एवं भाग्येश का निर्बल होना । यदि पृथकतावादी ग्रह सूर्य, शनि, राहु, केतु सप्तम भाव को प्रभावित करते हैं तो विवाह में विलम्ब के साथ-साथ वैवाहिक जीवन में कलह, तनाव, अलगाव, संबंध विच्छेद जैसी अनेक परेशानियां उत्पन्न होती हैं ।

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विवाह में विलम्ब

विवाह हमारे जीवन प्रक्रिया में एक महत्वपूर्ण अंग है। विवाह संस्कार के बिना इंसान का जीवन हमारे शास्त्रों के अनुसार अधूरा है। विवाह के साथ ही स्त्री पुरुष मिलकर सृष्टि को आगे बढ़ने के लिए क्रियान्वित करते हैं। किंतु आज के इस औद्योगिक युग में लड़के-लड़कियां इस विवाह संस्कार को इतना महत्व नहीं देते व अपने करियर के प्रति ज्यादा चिंतित रहते हैं जिस वजह से विवाह में विलंब करते रहते हैं और फिर एक समय अवधि के बाद विवाह करना चाहते हैं