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विदेश यात्रा योग: एक विश्लेषण

हाल ही में 22-23 जुलाई 2006 को बैंकाक में एवं 30 जुलाई 2006 को सिंगापुर में अंतर्राष्ट्रीय ज्योतिष सम्मेलन में सम्मिलित होने के लिए 97 व्यक्तियों का एक प्रतिनिधिमंडल भारत से थाइलैंड व सिंगापुर गया था। एक साथ इतने व्यक्ति विदेश यात्रा पर निकले, इसके पीछे अवश्य ही कोई न कोई ग्रह योग रहा होगा।

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विधान सभा चुनाव 2017 ज्योतिषीय विश्लेषण

सभा चुनाव की घोषणा की गई है जिसकी वजह से पांच राज्यों में राजनैतिक हलचल बढ़ गयी है। 27 जनवरी 2017 से शनि ग्रह अपनी राशि बदलेंगे जिससे मकर व धनु राशि वाली पार्टियांे या पार्टी उम्मीदवारों को आशा के अनुरूप फल नहीं मिलेंगे। उत्तरांचल, गोवा और मिजोरम में मुख्य तीन ही राजनैतिक पार्टियां हैं लेकिन पंजाब एवं उत्तर प्रदेश में कई पार्टियां हैं।

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विभिन्न भावों के विशिष्ट फल

- दीर्घायु संतान व समृद्धि लग्नेश, गुरु या शुक्र केंद्र में स्थित हो। - पूर्णायु लग्नेश गुरु से केंद्र में तथा कोई शुभ ग्रह लग्न से केंद्र में। - सुखी जीवन लग्नेश लग्न से या चंद्र से केंद्र में हो तथा उदित भाग में हो। (सप्तम से दशम तक व दशम से लग्न तक उदित भाग) या नवमेश-लग्नेश की युति दशम में हो। - उच्च शिक्षा नवमेश-लग्नेश की युति केंद्र में हो और उन पर पंचमेश की दृष्टि हो।

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विभिन्न भावों में मंगल का फल

जन्मकुंडली के प्रथम भाव में मंगल जातक को साहसी, निर्भीक, क्रोधी, किसी हद तक क्रूर बनाता है, पित्त रोग का कारक होता है तथा चिड़चिड़ा स्वभाव वाला बनाता है। उसमें तत्काल निर्णय लेने की क्षमता होती है तथा वह लोगों को प्रभावित करने तथा अपना काम करवाने की योग्यता रखता है। वह अचल संपत्ति उत्तराधिकार से प्राप्त करता है। साथ ही साथ स्वयं के प्रयास से भी निर्माण करता है। परन्तु यदि इस भाव में मंगल नीच का हुआ तो जातक दरिद्र, आलसी, असंतोषी, उग्र स्वभाव का, सुख में कमी, कठोर, दुव्र्यसनी तथा पतित चरित्र वाला बना सकता है। जातक को नेत्रों के कष्ट तथा पांचवें वर्ष में जीवन पर संकट का भय होता है।

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विभिन्न लग्नों के लिए रत्न / रूद्राक्ष चयन

प्रत्येक लग्न के लिए एक ग्रह ऐसा होता है जो योगकारक होने के कारण शुभ फलदाई होता है। यदि ऐसा ग्रह कुण्डली में बलवान अर्थात् उच्चराषिस्थ, स्वराषि का या वर्गोत्तमी होकर केन्द्र या त्रिकोण भाव में शुभ ग्रह के प्रभाव में स्थित हो व इस पर किसी भी पाप ग्रह का प्रभाव न हो तो यह अकेला ही जातक को उन्नति देने में सक्षम होता है अतः इसका रत्न धारण करना विषेष शुभ फलदाई तथा चमत्कारी प्रभाव देने वाला होगा परन्तु यदि यह अषुभ भाव में अषुभ ग्रहों के प्रभाव से ग्रस्त हो तो जातक इस योगकारक ग्रह के चमत्कारी प्रभाव से वंचित रह जाता है।

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विभिन्न लग्नों में रत्न चयन

लग्न व्यक्तित्व का द्योतक है। मेषादि बारह लग्नों में अलग-अलग रत्न चयन या धारण करने का महत्व है। दशा-अंतर्दशा अथवा गोचर में कुछ समय के लिए रत्न धारण कर सकते हैं, लेकिन मुख्यतया लग्नेश, पंचमेश एवं भाग्येश के रत्न धारण करने से जीवन में आने वाली बाधाओं से मुक्ति मिल सकती है।

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विराट कोहली - अनुष्का शर्मा

कहते हैं जोड़ियां स्वर्ग में बनती हैं और भगवान सभी रिश्ते ऊपर से बनाकर भेजता है। बच्चा जन्म के साथ ही इन सभी रिश्तों में बंध जाता है, लेकिन एक रिश्ता ऐसा भी होता है जो उसे जन्म के साथ नहीं मिलता। वो है उसके परफेक्ट पार्टनर का, जिसको पाने का ज्यादातर लोग सपना देखते रहते हैं। ज्योतिष शास्त्र मानता है कि हमारा जीवनसाथी और भाग्य सितारे और ग्रह तय करते हैं।