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वर्ष 2014 में देश के भाग्य विधाता

प्रत्येक देश में देशवासी यह जानने को उत्सुक रहते हैं कि प्रसिद्ध राजनेताओं का भविष्य कैसा रहेगा। हम इस संबंध में मुख्य राजनेताओं की जन्मपत्रिका का अध्ययन करके देखें। संसार में ज्योतिष ही एक ऐसा विषय है जिससे उनके भविष्य का पता लगाया जा सकता है। नेता ही देश की बागडोर संभालते हैं। इस कारण उन्हें देश के भाग्यविधाता कह सकते हैं।

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वर्षा का पूर्वानुमान : ज्योतिषीय दृष्टि से

वर्षानुमान के लिए मेदिनीय ज्योतिष में अनेक पद्वतियां हैं। इनमें निम्न विषयों का विश्लेषण किया जाता है। १ संवत्सर २ संवत्सर का राजा ३ मेघेश ४ सूर्य का आर्द्रा प्रवेश ५ मेघ ६ रोहिणी वास ७ स्तंभ ८ नाग ९ त्रिनाडी चक्र १० सप्तनाडी चक्र ११ कूर्म चक्र १२

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वर्षा का पूर्वानुमान: ज्योतिषीय दृष्टि से

पूर्वानुमान के लिए मेदिनीय ज्योतिष में अनेक पद्धतियां हैं। इनमें निम्न विषयों का विश्लेषण किया जाता है: 1.संवत्सर, 2.संवत्सर का राजा, 3.मेघेश, 4.सूर्य का आद्र्रा प्रवेश, 5.मेघ, 6.रोहिणी वास, 7.स्तंभ, 8.नाग, 9.त्रिनाड़ी चक्र, 10.सप्तनाड़ी चक्र, 11.कूर्म चक्र, 12.नक्षत्र सांख्य बोधक चक्र, 13.वर्षा बोधक चक्र और 14.ग्रह गोचर। इसके अतिरिक्त आकाशीय लक्षण एवं मेघों के गर्भ विचार के अनुसार भी वर्षा का अनुमान लगाए जाने की पद्धतियां हंै। जीव-जंतुओं, पशु-पक्षियों एवं कीड़े-मकोड़ों की गतिविधियों से भी वर्षा का पूर्वानुमान लगाया जाता है।

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वैवाहिक निर्णयों में षड्वर्गों की महत्ता

विवाह के समय केवल कुंडली मिलान अर्थात गुण मिलान ही महत्वपूर्ण नहीं होता बल्कि षड्वर्गों की स्थितियों का अध्ययन भी जरूरी होता है। होरा, द्रेष्काण, सप्तमांश एवं नवमांश का सूक्ष्म विश्लेषण कर जो कुंडली मिलाई जाती है, उससे लगभग पूरे दाम्पत्य जीवन के उतार-चढ़ाव की जानकारी प्राप्त हो जाती है, कैसे आइए जानें...

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वैवाहिक विघटन के विविध आयाम और ज्योतिष शास्त्रीय संदर्भ

भारतीय ज्योतिषशास्त्र का मूल उद्देश्य ही मानव मात्र का कल्याण है। वैदिक काल से ही इस वेदाङ्ग ने विभिन्न भौतिक तथा आध्यात्मिक संतापों से मानव को मुक्ति प्रदान की है। वैवाहिक सम्बन्धों के सन्दर्भ में भी ज्योतिषशास्त्र की उपादेयता सर्वसिद्ध है। विवाह में होने वाले विलम्ब अथवा विवाह के पश्चात् होने वाले पार्थक्य, वैमनस्य, वैधव्य, विधुरता, विवाहेत्तर सम्बन्ध आदि विषयों पर भी ज्योतिषशास्त्र के ग्रन्थों में पर्याप्त चर्चा की गई है।

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वैवाहिक समस्याओं के समाधान में ज्योतिष शास्त्र का अनुप्रयोग

ज्योतिषशास्त्र के सहस्राधिक ग्रन्थों में विवाह तथा उससे जुड़ी हुई समस्याओं पर शताब्दियों से चर्चा होती रही है। वैवाहिक समस्याओं के लिए उत्तरदायी ग्रहयोगों के विषय में दैवज्ञों के साथ-साथ सामान्य मनुष्यों तक को प्रमुख आधारभूत सूचनाएँ ज्ञात हैं। परन्तु इन ज्योतिषीय ग्रहयोगों के ज्ञान के साथ-साथ यदि उनके निवारण के सम्बन्ध में ज्ञान न हो तो इसे उचित स्थिति नहीं कहा जा सकता है। अतः वैदिक, पौराणिक उपायों के साथ-साथ लोकप्रसिद्ध लाल किताब में वर्णित उन उपायों को यहाँ प्रस्तुत किया जा रहा है