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मानसिक विकृति का अंजाम

आज के समाज में व्यक्तिगत ख्वाहिश और हर मनचाही वस्तु को हड़पने की इच्छा ने नौजवान पीढ़ी की संस्कृति और संस्कारों को तार-तार कर दिया है। अपनी वासना पूर्ति के लिए वे किसी भी हद तक जा सकते हैं और अपने धर्म अथवा खून के रिश्तों का खून करनेे से भी जरा नहीं हिचकते। आधुनिक युग में प्रेम केवल फिल्मों तक ही सीमित रह गया है। बढ़ते उपभोक्तावाद की प्रवृत्ति से ग्रसित नई पीढ़ी को प्रेम नहीं अपितु अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए केवल अधिकाधिक धन ही चाहिए। ऐसा लगता है मानो प्रेम, विश्वास, संस्कार व भावनाओं का कोई महत्व ही नहीं रह गया है। आत्मा को मारकर मनुष्य इतना गिर चुका है कि वह भावनाओं और विश्वास के मामले में पशुओं से अधिक तुच्छ हो गया है। मनसिक विकृति के कारण आधुनिक पीढ़ी हत्या जैसे संगीन व जघन्य अपराध को अन्जाम देने में जरा सी भी हिचकिचाहट महसूस नहीं करती। ऐसी ही घटना को अंजाम दिया पीयूष व मनीषा की अंधी वासना ने।

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मानसिक विकृति का भूत

16 दिसंबर 2013 को घटित हुए निर्भया कांड को दो वर्ष हो गये हैं। इस कांड की न केवल भारत बल्कि पूरी दुनिया में निंदा की गई। भारत में महिलाओं के खिलाफ अपराध रोकने के लिए कड़े कानून बनाने की मांग उठी, बहुत से प्रदर्शन भी हुए और इस संबंध में संसद ने बिल भी पारित किया लेकिन अफसोस आज भी हालात ज्यों के त्यों हैं। कोई भी दिन ऐसा नहीं होता जब सुबह-सुबह अखबार किसी न किसी युवती की अस्मत लुटने की खबर न छापती हो। ये सभी खबरें दिल को बुरी तरह झंझोड़ देती हैं कि ऐसी क्या कमी रह जाती है बच्चों की परवरिश में कि वे यौवन की दहलीज पर पहुंचने पर या अधेड़ उम्र में भी ऐसी वहशियाना हरकत करने से नहीं चूकते और पकड़े जाने पर भी उन्हें कोई पछतावा नहीं होता।

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मारकेश निर्णय

मारकेश ग्रह का निर्णय करने से पूर्व योगों के द्वारा अल्पायु, मध्यायु या दीर्घायु है, यह निश्चित कर लेना चाहिए।1 क्योंकि योगों द्वारा निर्णीत आयु का समय ही मृत्यु का संभावना-काल है और इसी संभावना काल में पूर्ववर्णित मारक ग्रहों की दशा में मनुष्य की मृत्यु होती है। इसलिए संभावना-काल में जिस मारक ग्रह की दशा आती है वह मारकेश कहलाता है।

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मिथुन में गुरु का गोचर

गोचरगुरु 31 मई 2013, 6:49, धनिष्ठा नक्षत्र, सप्तमी तिथि, शुक्रवार, ज्येष्ठ कृष्ण पक्ष, बव करण में वृषभ राशि से निकलकर मिथुन राशि में प्रवेश करेंगे। मिथुन राशि में गुरु 19 जून 2014, 8:47 तक रहेंगे। गुरु मिथुन राशि में प्रवेश करते ही 6 जून 2013 को 23:52 पर अस्त हो जायेंगे और 2 जुलाई 2013 को 22:53 तक अस्त रहेंगे। ये 7 नवम्बर 2013 को 10:33 पर वक्री होंगे एवं 6 मार्च 2014 को 16:12 पर पुनः मार्गी होंगे। गुरु का शुक्र की राशि से बाहर आकर, मिथुन राशि में जाना कुछ लोगों के लिए विवाह, संतान, ऊच्च शिक्षा, मजबूत आर्थिक स्थिति और मांगलिक शुभता का उपहार लेकर आयेगा। गुरु की शुभता से संतान की प्रतीक्षा कर रहे लोगों का घर खुशी की किलकारियों से गँूज उठेगा, तो कुछ के जीवन में विवाह की शहनाइयों से एक नए जीवन की शुरूआत होगी।

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मीरा बाई

‘‘मेरे तो गिरधर गोपाल दूसरो न कोई। जाके सिर मोर मुकुट मेरो पति सोई।।’’ आज हम बात कर रहे हैं, श्रीकृष्ण की अनन्य साधिका मीराबाई की। मीरा के कृष्ण प्रेम व भक्ति से सभी परिचित हैं। यद्यपि मीरा के जन्म वर्ष व तिथि से संबंधित अनेक तथ्य प्रचलित हैं किंतु उनमें से सर्वाधिक मान्यता प्राप्त तथ्य है कि 1504 ईसवीं में मेडतिया शाखा के प्रवर्तक रावदूदाजी के पुत्र रतन सिंह के घर में मीरा का जन्म हुआ। मीरा के माता-पिता व भाई तथा अन्य सभी परिवारी जन ईश्वरीय श्रद्धा से लबालब थे। सर्वत्र भक्तिपूर्ण माहौल था।

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मोटापा और ग्रह

कहा जाता है कि मोटापे का कारण वंशानुगत होता है अर्थात मोटे व्यक्ति को अपना मोटापा अपने पूर्वजों से डी.एन.ए. के फलस्वरुप प्राप्त होता है। मोटापे का कारण सिर्फ हमारी खान-पान संबंधी आदतें या फिर सुस्त जीवन शैली ही नहीं अपितु वंशानुगत शारीरिक बनावट और आंतरिक स्वभाव भी है जिसे हम ज्योतिष द्वारा भी जान सकते हैं।

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मोटापा पर ज्योतिष विचार एवं विभिन्न योग

यदि आप कुछ दशक पहले का विचार करें तो पता चलेगा कि पहले लोग कार्यों में बेहद व्यस्त रहते थे,मेहनत अधिक करते थे और यदि ऐसे में कोई मोटा हो जाता तो कहते थे कि इसके पास तो लक्ष्मी की कृपा है। यह तो सुखी है क्योंकि उस समय कुछ ही लोग मोटे होते थे लेकिन आज वर्तमान में सब विपरीत हो चुका है।

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मोटापा बढ़ाने वाले ग्रह योग

मोटापा आजकल संक्रामक रूप में फैल रहा है। इससे बच्चे व बड़े सभी प्रभावित हैं। इसका मुख्य कारण है फास्ट फूड और चाॅकलेट का अधिक सेवन तथा कम से कम शारीरिक श्रम करना जिससे अतिरिक्त कैलौरी धीरे-धीरे जमा होकर शरीर को मोटा करती है। आवागमन की सुविधाओं की सुलभता से हमारा पैदल चलना भी लगभग बंद हो गया है। मोटापा वैसे तो अधिक कष्टकारी नहीं होता, परंतु वजन बढ़ने से व्यक्ति आलसी हो जाता है और उसकी कार्यक्षमता घटती है। साथ ही वह अन्य घातक रोगों जैसे - बी. पी., शूगर, हृदय रोग और घुटने व टांग में दर्द का कारण बनता है।

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मोटापा- योग, संयोग, कारण और निवारण !

देह स्थूलता (मोटापा) योग 1. यदि लग्न जलराशि में शुभ ग्रहों से युत हो या लग्नेश जलीय ग्रह हो व शुभ ग्रहों से दृष्ट हो, तो ऐसे जातक का शरीर स्थूल (मोटा) होता है। 2. यदि लग्नेश शुभ ग्रहों के साथ जलीय राशि में हो तथा शुभ ग्रहों से दृष्ट हो अथवा लग्न शुभ ग्रहों की राशि में हो तथा लग्नेश का नवांशाधिपति जलीय राशि में हो, तो जातक का शरीर स्थूल होता है।