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ज्योतिषीय सामग्री एवं उपाय

प्रश्न: ज्योतिष में भिन्न-भिन्न समस्याओं के लिये रत्न, रुद्राक्ष, तंत्र, मंत्र, यंत्र, लाॅकेट एवं अन्य दुर्लभ सामग्री द्वारा निराकरण हेतु सटीक उपाय बताएं। उत्तर: भारतीय ज्योतिष पद्धति के अनुसार सात मुख्य ग्रह हैं जो कि निरंतर हमारे जीवन को संचालित करते रहते हैं। ये ग्रह हैं: सूर्य, चंद्रमा, मंगल, बुध, बृहस्पति, शुक्र और शनि। राहु-केतु दो छाया ग्रह हैं जिनका प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष प्रभाव हमारे जीवन पर पड़ता है। जिस प्रकार शारीरिक स्वास्थय के लिये यह जरूरी है

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जानें किन योगों व कैसी दशाओं में हार्ट अटैक संभावित होता है

हृदय मानव शरीर के सीने के बायें भाग के अंदर एक मांसपेशी है। इसकी कार्यप्रणाली के अंतर्गत हृदय शरीर में एक पंप की तरह से कार्य करता है, जो शरीर में एक ओर से रक्त खींचकर दूसरी ओर से शरीर के प्रमुख तथा सभी अंगों जैसे- मस्तिष्क, यकृत, गुर्दे इत्यादि को रक्त पहुंचाता है। यह रक्त हृदय के दायें भाग में प्रवेश करता है और दायें परिकोष्ठ से होकर गुजरता है। यहां से रक्त दायें निलय (त्पहीज टमदजतपबसम) में प्रवेश करता है। फिर पहले के मुकाबले कुछ धीमी गति से और हल्के प्रेशर से फेफड़ों में पम्प होता है जहां रक्त को ऑक्सीजन प्राप्त होती है। फेफड़ों से यह रक्त हृदय के बायें परिकोष्ठ में प्रवेश करता है और फिर यही रक्त बायें निलय में बहता है। बायें निलय से यह रक्त पहले की तुलना में अधिक प्रेशर के साथ हृदय की प्रमुख धमनी;ंवतजंद्ध से गुजरता हुआ पूरे शरीर में पहुँचता है। हृदय की बनावट को देखें तो इसमें चार वाल्व(अंसअम) होते हैं। ये चारों वाल्व बारी-बारी से कुछ क्षणों के अंतर पर लगातार खुलते और बंद होते हैं जिससे कि रक्त एक ही दिशा में बहता रहंे।

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जानें: क्या होता है पितृ दोष कैसे कम होता है प्रभाव

जब किसी को परिवार से ही जैसे ताऊ या चाचा जो कि या निःसन्तान हो या अविवाहित हो अथवा असमय अकाल मौत हुई हो या पूर्व जन्म में यदि किसी ने किसी को संताप दिया हो जैसे दैहिक, भौतिक या मानसिक भी तो वह अगले जन्म में उस जातक की कुंडली में पितृ दोष बन कर जीवन में बाधा का कारण बन जाता हैs

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जिंदगी में रुकावटों और क्लेश के लिए कोई जगह नहीं

आप भी जानते हैं, कि संसार का हर एक जीव अपने परिवार तथा आस पास के लोगों से बहुत प्यार करता है और हर किसी के मन मंे प्यार और सम्मान पाने की बहुत चाह होती है। लेकिन आज-कल परिवार में छोटी-छोटी बातों को लेकर क्लेश होना और फिर उसके कारण उस क्लेश का विकराल रूप होने में देर नहीं लगती है। हम भी सोचने पर मजबूर हो जाते हैं,

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जिंदगी है जीने के लिए न कि खुदकुशी के लिए

वैज्ञानिकों का मानना है कि अगर हम अपना दुःख अंदर ही रखते हैं तो हमारी सोच और दृष्टिकोण दोनों नकारात्मक होती जाती है और यह इस कदर तक अपनी जड़ें जमा लेती है कि जीने के सारे विकल्प बंद से लगने लगते हैं और केवल अपनी सोच पर ही कायम रहने से व्यक्ति बहुत विवश महसूस करने लगता है और उसे आत्महत्या करना ही सबसे सरल लगता है।

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जीवन को सुखमय बनाता है गजकेसरी योग

कुंडली में ज्ञान के कारक गुरु और मन के कारक चन्द्रमा दोनों मिलकर गजकेसरी योग का निर्माण करते हैं। गुरु कुंडली के 2, 5, 9, 10, और 11वें भाव का कारक होता है, वहीं चन्द्रमा चैथे भाव का कारक होता है। कुंडली में जब गुरु और चन्द्रमा एक साथ बैठे होते हैं तब गजकेसरी योग बनता है।