आज विज्ञान का युग है। विज्ञान के द्वारा मनुष्य प्रकृति पर विजय पाने की कोशिश करता रहा है। मेडिकल साईंस ने अनेक प्रकार के रोगों से छुटकारा प्राप्त कर लिया है।
डॉ. अरुण बंसल | 01-Jan-2014
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इस आलेख में विभिन्न व्यवसायों में सफलता के ज्योतिषीय योगों पर प्रकाश डाला गया है।
यशकरन शर्मा | 15-Oct-2014
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अंकशास्त्र का उदय भारतवर्ष में हुआ ज्योतिष जगत में अंकों का महत्व पुरातन काल से परिलक्षित होता रहा है। जो ज्योतिष के साथ अंकों के विशेष सामंजस्य को दर्शाती है।
हरिश्चंद्र प्रसाद आर्य | 01-Jan-2014
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ज्योतिष में पुनरुत्थान को तीन भागों में बांटा जा सकता हैं. ज्योतिष के मूल नियम : प्रत्येक ग्रह, भाव, या राशी को ज्योतिष में किसी न किसी का कारक माना गया हैं. जैसे सूर्य को आँखों का, तो चन्द्र को मन
आभा बंसल | 01-Jan-2014
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ज्योतिषमें ईश्वर प्राप्ति के योगों के लिए सबसे पहले जन्मकुंडली के सबभावों में से प्रथम, पंचम व नवम भाव व भावेशों पर विचार करना चाहिए।
पी पी एस राणा | 01-Jan-2014
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प्रश्न: ज्योतिष में उच्च शिक्षा (पीएच. डी) प्राप्त करने के क्या योग हैं? उदाहरण सहित सविस्तार वर्णन करें। वर्तमान युग में शिक्षा के महत्व एवं अनिवार्यता से कोई अनभिज्ञ नहीं है। शिक्षा के बिना जीवन अधूरा है।
फ्यूचर पाॅइन्ट | 01-Jan-2014
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फ्यूचर समाचार का तंत्र-मंत्र-यंत्र विशेषांक आपके समक्ष प्रस्तुत है. एक दृष्टि से देखा जाएं, तो ज्योतिष एवं तंत्र-मंत्र- यंत्र का आपस में घनिष्ठतम संबंध है. दोनों विद्याएं एक दूसरे की पूरक है. ज्योतिष द्वारा भविष्य
आभा बंसल | 01-Apr-2001
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‘‘मंगल को शास्त्रों में भूमि पुत्र कहा गया है। ज्योतिष में मंगल अग्नि तत्व ग्रह है। इसका रंग लाल है तथा मेष और वृश्चिक राशि पर इसका आधिपत्य है। मंगल मकर राशि में उच्च और कर्क राशि में नीच का होता है। सूर्य, चंद्रमा, बृहस्पति मंगल के मित्र ग्रह हंै और शुक्र, शनि, बुध, राहु से मंगल की शत्रुता है। इसके अतिरिक्त अपने विशेष कारक तत्वों के कारण भी मंगल ज्योतिष में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
नीरज शर्मा | 15-Aug-2015
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नवरत्नों का ज्योतिष के क्षेत्र में महत्वपूर्ण स्थान है। सभी रत्नों में अपूर्व दैवी शक्ति निहित है। रत्नों का हम पर जो प्रभाव पड़ता है वह ग्रहों के रंगों और अनेक प्रकार की किरणों की उत्सर्जन क्षमता के कारण है। विद्वानों ने प्रयोग तथा अगाध अनुभव और दिव्य दृष्टि द्वारा यह जानकारी प्राप्त कर ली थी कि कौन सा ग्रह किस रंग की किरणें प्रस्फुटित करता है और उसी के अनुसार उन्होंने ग्रहों के लिए रत्न निर्धारित किए।
अमित कुमार राम | 01-Jan-2014
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दमा रोग, फेफड़ों में वायु का कफ बनाता अवरोध शीत बर्फीला धूल धुआं भट्ठी सीमेंट इसकी पौध तृतीय चतुर्थेश भाव बुध चंद्र दूषित मारकेश से शौध मूलहटी फूल सुहागा सौंठ पीपरमैंट से ना करे विरोध
के.पी. बंसल | 15-Jun-2016
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किसी जातक की कुंडली के चतुर्थ स्थान से विद्या का और पंचम से बुद्धि का विचार किया जाता है। विद्या और बुद्धि में घनिष्ठ संबंध है। दशम भाव से विद्या जनित यश का विचार किया जाता है।
महेश मोहन झा | 01-Jan-2014
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सर्व ग्रहों की शांति हेतु सर्वग्रह निवारण तंत्र की स्थापना यदि घर या कार्यस्थल में कर ली जाए तो व्यक्ति को ग्रह जनित पीड़ा से मुक्ति व मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। सर्वग्रह तंत्र साधना का विधि विधान इस लेख द्वारा प्रस्तुत है।
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