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कार्य क्षेत्र और शिक्षा का चयन

जन्मकुंडली का नवम भाव त्रिकोण स्थान है, जिसके कारक देवगुरु बृहस्पति हंै। यह भाव शिक्षा में महत्वाकांक्षा और उच्च शिक्षा अर्थात शिक्षा किस स्तर की होगी, को दर्शाता है। यदि इस भाव के नैसर्गिक कारक बृहस्पति का संबंध पंचम भाव से हो जाए, तो उच्च शिक्षा के योग बनते हैं।

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कार्य व्यवसाय एवं वैवाहिक सुख

वैवाहिक सुख व कार्य-व्यवसाय के बारे में ज्योतिष द्वारा विश्लेषण करने की विस्तृत विधि: वैवाहिक सुख का विचार सामान्यतः सप्तम व कार्य-व्यवसाय का विचार दशम भाव से किया जाता है। कार्य-व्यवसाय अर्थात् जातक आजीविका में व्यापार करेगा या नौकरी। यह भी दशम भाव, स्वामी, कारक तथा इसमें स्थित ग्रह तथा इन सब पर दृष्टि डालने वाले ग्रहों पर निर्धारित होता है।

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काल सर्प योग कष्टकारक लेकिन ऐश्वर्यदायक योग

जनमानस में एक आम धारणा बनी हुई है कि काल सर्प योग व्यक्ति को कष्ट देने वाला एवं परेशानियों में डालने वाला ही होता है लेकिन सर्वथा ऐसा नहीं है। काल सर्प योग वाले व्यक्तियों के जीवन में सांप सीढ़ी की तरह उतार-चढ़ाव तो आते हैं परंतु संघर्षों के बाद वे निश्चित तौर पर सफलता की सीढ़ियां भी चढ़ते जाते हैं। प्रस्तुत आलेख में काल सर्प योग के दोनों पक्षों को सोदाहरण विस्तार दिया गया है ...