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क्यों?

अनादि काल से ही हिंदू धर्म में अनेक प्रकार की मान्यताओं का समावेश रहा है। विचारों की प्रखरता एवं विद्वानों के निरंतर चिंतन से मान्यताओं व आस्थाओं में भी परिवर्तन हुआ। क्या इन मान्यताओं व आस्थाओं का कुछ वैज्ञानिक आधार भी है? यह प्रश्न बारंबार बुद्धिजीवी पाठकों के मन को कचोटता है। धर्मग्रंथों को उद्धृत करकेेेेे ‘बाबावाक्य प्रमाणम्’ कहने का युग अब समाप्त हो गया है। धार्मिक मान्यताओं पर सम्यक् चिंतन करना आज के युग की अत्यंत आवश्यक पुकार हो चुकी है।

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क्यों?

अनादि काल से ही हिंदू धर्म में अनेक प्रकार की मान्यताओं का समावेश रहा है। विचारों की प्रखरता एवं विद्वानों के निरंतर चिंतन से मान्यताओं व आस्थाओं में भी परिवर्तन हुआ। क्या इन मान्यताओं व आस्थाओं का कुछ वैज्ञानिक आधार भी है? यह प्रश्न बारंबार बुद्धिजीवी पाठकों के मन को कचोटता है। धर्मग्रंथों को उद्धृत करके‘ ‘बाबावाक्य प्रमाणम्’ कहने का युग अब समाप्त हो गया है। धार्मिक मान्यताओं पर सम्यक् चिंतन करना आज के युग की अत्यंत आवश्यक पुकार हो चुकी है।

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क्रूर ग्रह दे सकते हैं नेत्र विकार

क्रूर ग्रह अपने स्वभाव का असर किसी न किसी रूप में शरीर पर छोड़ते हैं। संसार के परिदृश्य से साक्षात कराने वाली आंखें क्रूर ग्रहों के प्रभाव से कभी भेंगी या ज्योतिहीन हो जाती हैं तो कभी किसी रोग का शिकार। किन ग्रहों की युति नेत्र विकार पैदा करती है, आइए जानें...

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कुर्सी कहीं तीसरे के हाथ न चली जाय...

आगामी लोकसभा निर्वाचन में भाजपा की ओर से प्रत्यक्ष रूप से भावी प्रधानमंत्री के रूप में घोषित उम्मीदवार गुजरात राज्य में तीसरी बार सत्ता हासिल करने वाले राज्य के मुख्य मंत्री नरेन्द्र मोदी हं तो दूसरी ओर परोक्ष रूप से कांग्रेस के युवा नेता एवं निर्वाचन में प्रचार समिति के कप्तान कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गंाधी हैं। इन दोनों में से कौन नेता अपनी पार्टी के लिए लोकसभा में अधिक सीटें प्राप्त कर प्रधानमंत्री के सिंहासन पर काबिज हो सकता है? जानते हैं ज्योतिष के नजरिए से...

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कलह क्यों होती है?

परिवार में कलह हो तो गृहस्थ जीवन तबाह हो जाता है। परिवार रूपी रथ के दोनों पहिए अलग-अलग हो जाते हंै जिसका प्रभाव संपूर्ण परिवार पर पड़ता है और परिवार के सभी सदस्यों की खुशहाली पर ग्रहण सा लग जाता है। कलह क्यों होती है, इसके ज्योतिषीय कारण क्या हैं, क्या करें कि कलह हो ही नहीं, यह सब जानने के लिए पढ़ें यह आलेख...

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कष्ट निवारक शनि अष्टक

शनिदेव की प्रसन्नता एवं अनुकूलता प्राप्त करने हेतु दशरथकृत शनि स्तोत्र बहुत प्रभावशाली माना जाता है। इसके नित्यपाठ से शनि तथा अन्य ग्रहों की पीड़ा से मुक्ति मिलती है। पाठकों के हितार्थ शुद्धरूप में स्तोत्र दिया जा रहा है। शनि अष्टक के पाठ से भी पाइक लाभान्वित हो सकते हैं।

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कष्ट, विपत्ति, बाधा के ज्योतिषीय कारण व निवारण

भारतीय विचारधारा के अनुसार मनुष्य के वर्तमान को उसका पूर्व कर्मफल प्रभावित करता है। उसके कष्टों के निम्नलिखित कारण बताए गए हैं: देव कोप, धर्मदेव, रोष, सर्पक्रोध, प्रेत कोप, गुरु- माता-पिता-ब्राह्मण श्राप, शब्द, भंगिमा, विष और अभिचार। यहां कष्टों और बाधाओं के कुछ प्रमुख ज्योतिषीय कारणों और उनके निवारण के उपायों का वर्णन प्रस्तुत है।