भारतीय विचारधारा के अनुसार मनुष्य के वर्तमान को उसका पूर्व कर्मफल प्रभावित करता है। उसके कष्टों के निम्नलिखित करण बताए गए है। देव कोप, धर्मदेव, रोष, सर्पक्रोध, प्रेत कोप, गुरु-माता-
फ्यूचर समाचार | 01-Jan-2014
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कुष्ठ रोग त्वचा से प्रारंभ होता है। जब त्वचा की सभी मुख्य परतें दूषित और बाहरी जीवाणुओं की रोकथाम करने में असमर्थ हो जाती है तो कुष्ठ रोग होने की संभावना बढ़ जाती है। प्रस्तुत है कुष्ठ रोग के ज्योतिषीय योग
अविनाश सिंह | 01-Jan-2014
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प्रश्न: कृष्णमूर्ति पद्धति का प्रयोग कुुंडली का फलादेश करने हेतु किस प्रकार किया जाता है, उदाहरण सहित विस्तारपूर्वक समझाएं। क्या यह पराशर पद्धति से अधिक सटीक है? यदि हां तो कैस
ईश्वर लाल खत्री | 15-Sep-2014
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ज्योतिष में गोमेद राहु का रत्न माना गया है। इसे धारण करने से राहु तो बलवान होता ही है साथ ही काल सर्प दोष, नजर दोष एवं टोटके आदि से बचाव भी होता है। यह रत्न कुछ रुपए रत्ती से लेकर कुछ हजार रुपए रत्ती तक मिलता है।
पुरु अग्रवाल | 01-Jan-2014
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इस अंक में हम आपको पुखराज के बारे में कुछ खास बातों से अवगत कराएंगे। पुखराज जिसे अंग्रेजी में yellow sapphire corundum कहते है देखने में हल्के पीले या गहरे पीले रंग का होता है। यह चमकीला और पारदर्शी होता है। यह सफेद रंग का भी होता है। जिसे अंग्रेजी में
फ्यूचर पाॅइन्ट | 01-Jan-2014
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इस अंक में हम आपको पुखराज के बारे में कुछ खास बातों से अवगत कराएंगे। पुखराज, जिसे अंग्रेजी में YELLOW SAPPHIRE CORUNDUM कहते हैं देखने में हल्के पीले या गहरे पीले रंग का होता है। यह चमकीला और पारदर्शी होता है। यह सफेद रंग का भी होता है जिसे अंगे्रजी में WHITE SAPPHIRE CORUNDUM कहते हैं।
पुरु अग्रवाल | 15-May-2015
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तिथि, वार, नक्षत्र, योग और करण की जानकारी जिसमें मिलती हो, उसी का नाम पंचंाग है। पंचांग अपने प्रमुख पांच अंगों के अतिरिक्त हमारा और भी अनेक बातों से परिचय कराता है।
प्रेमपाल कौशिक | 01-Jan-2014
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रत्नों का रहस्यमय संसार आदिकाल से ही मानव के आकर्षण का विषय रहा है। विश्व के सभी देशों में रत्न अपने विशिष्ट सुंदर रंगों, आंतरिक प्रभाव, तथा दुर्लभता के कारण प्राचीनकाल से ही अनमोल समझे जाते हैं। इनका वर्णन वेदों एवं पुराणों में भी मिलता है।
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लहसुनिया विभिन्न रंगों में पाया जाता है- हरा, हल्का हरा, पीला तथा भूरा। यह अत्यंत कठोर एवं टिकाऊ रत्न है इसलिए इसका आभूषणों में भी उपयोग किया जाता है। यदि लहसुनिया को कैबोकाॅन के रूप में काटा जाए तो इसके ऊपर पड़ने वाला प्रकाश एक लंबी रेखा के रूप में दिखाई देता है।
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आज शिक्षित लोग कम संतान की चाहत रखते हैं क्योंकि केवल उनका पालन-पोषण ही नहीं शिक्षा-दीक्षा भी आज बहुत महंगी है। इस तरह संतान को जन्म देना एक तरह से पूरी तरह माता-पिता की इच्छा पर निर्भर हो गया है। इन परिस्थितियों में यहां प्रस्तुत है। जन्मकुंडली देखकर संतान संख्या जानने के कुछ नवीन बिंदु...
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संतान सुख की बात जब भी सोचते है तो सर्वप्रथम मन में यही विचार आता है की संतान कितनी होगी? पति-पत्नी यह जानना कहते है की उनके कितने बच्चे होंगे। दैवज्ञ इस बात का उतर कुंडली देखकर बता सकते है। संतान संख्या का विचार करते समय
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जलालुद्दीन अकबर की कुंडली को यदि एक नजर देखा जाये तो कह सकते हैं कि कंुडली में ग्रह स्थिति अच्छी नहीं है। कालसर्प योग और दो-दो नीच ग्रहों की कुंडली में चंद्र भी पीड़ित है। अतः जातक को जीवन में अशुभ फलों की प्राप्ति अधिक होनी चाहिये थी, लेकिन इन्हीं नीच ग्रहों की दशाओं में अकबर ने चहोन्मुख उन्नति की, अपने साम्राज्य का विस्तार किया, कई धार्मिक व सामाजिक सुधार किये और ‘अकबर महान’ के नाम से जाने गये। आईये देखते हैं कि नीच ग्रहों की दशा में अकबर के साथ क्या-क्या हुआ? नीच ग्रहों के संबंध में हम पहले यह जान लेते हैं कि यहां अकबर की कुंडली में दोनों नीच ग्रहों (सूर्य व शुक्र) का नीच भंग हो रहा है। सूर्य तुला राशि में है तथा शनि यहीं पर उच्च का होकर सूर्य का नीच भंग कर रहा है। शुक्र अपनी नीच राशि कन्या में तो है पर कन्या राशि का स्वामी बुध यहां कुंडली में चंद्रमा से केंद्र में होकर शुक्र का नीच भंग कर रहा है। दूसरा यह कहा गया है कि 3,6,11 भावों में यदि नीच के ग्रह हांे या 3,6,11 भावों के स्वामी नीच के ग्रह हों तो वे राजयोग देते हैं। यहां अकबर की कुंडली में तीसरे भाव में नीच के सूर्य स्थित हैं और शुक्र तीसरे भाव का स्वामी है।
संजय बुद्धिराजा | 15-May-2015
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