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मधुमेह रोग और ज्योतिषीय दृष्टिकोण

वैदिक ज्योतिष में मेडिकल ज्योतिष का अत्यधिक महत्वपूर्ण स्थान माना गया है। इसके द्वारा व्यक्ति की जन्म कुंडली से उसके स्वास्थ्य का आकलन बेहतर तरीके से किया जा सकता है। कई बार चिकित्सक जातक की बीमारी को ढूंढ़ ही नहीं पाते हैं। ऐसे में एक कुशल ज्योतिषी जन्मकुंडली का भली-भांति निरीक्षण करके बीमारी का अंदाजा लगा सकता है कि शरीर के किस भाग में पीड़ा नजर आती है, आज के इस लेख के माध्यम से हम मधुमेह के संबंध में बात करेंगे कि जन्मकुंडली के वे कौन से योग हैं जिनके आधार पर यह कहा जा सकता है कि व्यक्ति को मधुमेह की बीमारी हो सकती है।

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मधुमेह रोग का ज्योतिषीय विवेचन

हमारी पाचन क्रिया भोजन को शर्करा (ग्लूकोज) और शरीर के स्वास्थ्य के लिए विभिन्न आवश्यक तत्वों में परिणत करता है। ‘पैंक्रियाज’ ग्रंथि द्वारा स्रावित ‘इन्सुलिन नामक हार्माेन इस शर्करा को शरीर की कोशिकाओं तक रक्त संचार द्वारा पहुंचा कर उन्हें शक्ति प्रदान करता है तथा रक्त में शर्करा की मात्रा नियंत्रित रखता है। खाली पेट शर्करा का स्तर 60 से 100 मिलीग्राम प्रति 100 सी. सी. तथा भोजन के दो घंटे बाद इसका स्तर 100 से 140 मिलीग्राम के बीच रहना चाहिए।

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मधुमेह रोग से संबद्ध मुख्य ग्रह एवं भाव नक्षत्रादि विवेचन

‘स्थूल प्रमेही बलवानहि एकः कृक्षरतथेव परिदुर्वलक्ष्य। संवृहणंतम कृशस्य कार्यम् संशोधन दोष बलाधिकस्य।। चरक के अनुसार मधुमेह रोग दो प्रकार का होता है- एक तगडे़ और बलवान लोगों पर असर करता है और दूसरे तरह वाली बीमारी से पतले एवं कमजोर लोग प्रभावित होते हैं।

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मेष लग्न: विभिन्न भावों में शुक्र की दशा का फल

शुक्र की महादशा मेष लग्न में शुक्र धन भाव का स्वामी होता है और जन्म कुंडली में किस भाव में स्थित है उसका भी विशेष महत्व है। जब भी शुक्र की दशा आयेगी धन योग का फल मिलेगा लेकिन दशा के अनुसार ही शुभ-अशुभ फल प्राप्त होगा। लग्न में शुक्र मेष लग्न में शुक्र लग्न में ही हो तो इस महादशा में धन और सुख का नाश होता है। वह सदा भ्रमणकारी होता है, व्यसनी और चंचल स्वभाव का होता है।