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मंगलीक-दोष की पूर्ववर्ती एवं परवर्ती कारिकायें !

आज ही नहीं वर्षों-वर्षों से लोगों के दिलों में - ‘मंगली या मांगलिक दोष के भय का भूत - घर कर गया है। वे किसी भी ज्योतिषी से या मंदिर के किसी पुजारी से, कन्या की कुंडली में मंगली दोष’ सुनकर घबरा जाते हैं। विवाह तो करना ही है, कब तक बेटी को घर में बिठा कर ‘ओवर एज’ करते रहेंगे? सोचकर उसकी ‘कुंडली को छिपाकर - ‘नाॅन-मांगलिक कुंडली, बनवाकर बेटे वालों को सौंप देते हैं। अंततः शुभ विवाह सादर संपन्न करा दिया जाता है। इससे तो लड़की को बेगार या कबाड़ की तरह त्याग दिया। क्या इस कर्तव्य से लड़की की कुंडली के ग्रह दोष समाप्त हो गये?

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मृत्यु के बाद !

पराशर के अनुसार प्रत्येक व्यक्ति की मृत्यु का स्वरूप भी उसके पूर्व जन्म के कर्मों के आधार पर ही निर्धारित होता है। मृत्योपरांत शरीर नष्ट होकर पंचमहाभूतों में विलीन हो जाता है लेकिन शरीर में संरक्षित शक्ति नष्ट नहीं होती। यह कर्मानुसार पुनर्जन्म को प्राप्त करती है या अति श्रेष्ठ कर्मों के फलस्वरूप परमात्मा में विलीन हो जाती है।

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मधुमेह एवं षष्ठ्यांश विचार

इंसुलिन हार्मोन खून में शक्कर को नियंत्रित करता है। पेट के पीछे की ओर स्थित पैंक्रियाज में आइलेट ऑफ लैगरहैन्स कोशिकायें होती हैं, इनमें कुछ अल्फा और कुछ बीटा कोशिकायें होती हैं। अल्फा कोशिकाओं में ग्लूकोगाॅन तथा बीटा कोशिकाओं में इंसुलिन हार्मोंस बनते हैं। यह यकृत में उपस्थित निर्माण पर नियंत्रण रखता है। यह शरीर की कोशिकाओं में ग्लूकोज के आॅक्सीकरण की प्रक्रिया में तेजी लाता है तथा अतिरिक्त ग्लूकोज को यकृत तथा मांसपेशियों में ग्लायकोजिन के रूप में निक्षेपित करता है। यदि पैंक्रियाज में इंसुलिन कम मात्रा में बनने लगे तो व्यक्ति मधुमेह रोग से पीड़ित हो जाता है।

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मधुमेह के ज्योतिषीय कारण व निवारण

पहले प्राचीन समय में मानव के पास जीवन की सुख सुविधाओं के साधन अधिक नहीं थे। उसके बाद मानव ने प्रगति करते हुए अपनी भौतिक सुख सुविधाओं में वृद्धि की। हाथों से किये जाने वाले कामों को मशीनें करने लगीं। मानव की शारीरिक मेहनत कम होती गयी जिस कारण उसे कई बीमारियां घेरने लगीं, जिनमें से प्रमुख हैं - मधुमेह व हृदय रोग। यहां हम चर्चा करेंगें मधुमेह रोग की।

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मधुमेह की गिरफ्त में सेलिब्रिटी वल्र्ड

मधुमेह स्वयं एक घातक रोग नहीं है, अपितु यह कई असाध्य रोगों का जन्मदाता है। आज पूरे विश्व में ही नहीं बल्कि हमारे देश में भी इसके रोगियों की संख्या में निरंतर इजाफा हो रहा है। इस रोग के प्रति जागरुकता का होना आज की सबसे बड़ी जरुरत है, क्योंकि मधुमेह रोग से बचना या इसे नियंत्रित रखना इसके उपचार कराने से कई गुना बेहतर विकल्प है। ऐसे हर व्यक्ति के डायबिटीज की गिरफ्त में आने की संभावना रहती है जो श्रमजीवी नहीं है, परिश्रम नहीं करता, व्यायाम नहीं करता, खूब साधन संपन्न होने के कारण आराम की जिंदगी जीता है, खूब खाता-पीता है और मोटा ताजा है। यही कारण है कि आज यह बीमारी सम्पन्नता की प्रतीक भी बन गई है। हालांकि कुछ अन्य कारणों से यह रोग दुबले-पतले व्यक्ति को भी हो सकता है।