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भारत के सभी प्रधानमंत्रियों की कुण्डलियां

जन्मपत्री भविष्य बताने के लिए बेहतर उपकरण होता है। ज्योतिर्विदों के अनुसार श्रेष्ठ कुंडली के कुछ विशेष लक्षण होते हैं जो जातक को जीवन में ऊँचा उठाने में सहायक होते हैं। शुभाशुभ ग्रह योगों व दशा क्रम पर ग्रहों के गोचरीय प्रभाव का अध्ययन न केवल भविष्य कथन में उपयोगी होता है अपितु कुंडली के विशेष गुणानुसार जातक के जीवन में घटित होने वाली घटनाओं का प्रकटीकरण व समय निर्धारण भी करता है। परंतु यह तथ्य ध्यातव्य है कि यदि घटना के घटित होने का श्रेष्ठतम योग नहीं होगा तो गोचरीय प्रभाव भी लाभकारी नहीं होगा। राजनीतिज्ञों की कुंडली में श्रेष्ठतम राजयोग होते हैं जिनके प्रभाव से ये श्रेष्ठ दशा व अनुकूल गोचर के चलते सत्तारूढ़ हो जाते हैं। इस लेख में सत्ता प्राप्ति समय निर्धारण के कुछ सूक्ष्म सूत्रों की चर्चा की जा रही है। ‘‘करियर में श्रेष्ठता के मानदंडों’’ की चर्चा गत अंकों में की जा चुकी है।

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भारतीय कैलेंडर

भारत एक बहुसांस्कृतिक देश है। विभिन्न क्षेत्रों में भिन्न-भिन्न भाषाएं प्रचलित हैं और इसी प्रकार भिन्न-भिन्न समय मानक पद्धतियां प्रचलित हैं। विश्व में ग्रेगोरियन कैलेंडर का प्रयोग किया जाता है। लेकिन भारत का राष्ट्रीय कैलेंडर सौर कैलेंडर है। इसके अतिरिक्त भिन्न-भिन्न क्षेत्रोंमें धार्मिक प्रयोग के लिए अनेक सौर एवं चांद्र कैलेंडर प्रचलित हैं।

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भारतीय ज्योतिष पर इस्लामी विद्वानों का प्रभाव

भारतीय ज्योतिष एक महासागर है। इसके इतिहास पर यदि दृष्टि डालें तो हम पाएंगे कि इसमें अन्य धर्मों के विद्वानों ने भी अपना भरपूर योगदान देकर इसे समृद्ध किया है। इनमें इस्लाम ध् ार्म के विद्वानों का योगदान मुख्य रहा जिन्हें यवन विद्वानों की श्रेणी में रखा गया।

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भारतीय टीम की पाक यात्रा इरादे पक्के, सितारे बुलंद

भारत और पाकिस्तान के बीच क्रिकेट मैच हो तो दोनों देशों की जनता के मन में उत्सुकता एवं पूरे वातावरण में रोमांच का समां बंध जाता है। इस बार भारत व पाकिस्तान के बीच तीन टेस्ट मैच और पांच एक दिवसीय मैच होने हैं, कई नए खिलाड़ियों के साथ टीम के कोच ग्रेग चैपल के लिए भी यह अवसर कड़ी अग्नि परीक्षा का होगा। ग्रह स्थितियां क्या कहती हैं आइए जानें...

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भोग कारक शुक्र और बारहवां भाव

द्वादश भाव को प्रान्त्य, अन्त्य और निपु ये तीन संज्ञायें दी जाती हैं और द्वादश स्थान (बारहवां) को त्रिक भावों में से एक माना जाता है, अक्सर यह माना जाता है कि जो भी ग्रह बारहवें भाव में स्थित होता है वह ग्रह इस भाव की हानि करता है और स्थित ग्रह अपना फल कम देता है। बलाबल में भी वह ग्रह कमजोर माना जाता है, लेकिन शुक्र ग्रह बारहवें भाव में धनदायक योग बनाता है और यदि मीन राशि में बारहवें भाव में शुक्र हो तो फिर कहना ही क्या? कारण यह है कि शुक्र बारहवें भाव में काफी प्रसन्न रहता ह

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मंगल

मंगल के जन्म से संबंधित एक बहुत ही सुंदर कथा है। प्राचीन काल में जब हिरण्य कश्यप दैत्य के बड़े भाई हिरण्याक्ष ने पृथ्वी का हरण किया तो पृथ्वी को दैत्य से बचाने के लिए भगवान विष्णु ने वराह के रूप में अवतार लेकर हिरण्याक्ष का वध कर पृथ्वी को पुनः अपने स्थान पर स्थापित किया। कथा में आगे वर्णन है कि पृथ्वी भगवान के वराह अवतार (रूप) से बहुत प्रभावित हुई तथा उनकी पत्नी होने की ईच्छा करने लगी।