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अंक विद्या द्वारा जन्मकुंडली का विश्लेषण

जन्मकुंडली की तरह ही 1 से 9 तक के सभी अंकों का ब्रह्मांड के सभी 9 ग्रहों से संबंध होता है और हर अंक का अपना एक अधिपति ग्रह होता है। कुंडली के 12 भावों पर अंकों और ग्रहों के पड़ने वाले प्रभावों का विश्लेषण कर किसी व्यक्ति के बारे में जानकारी प्राप्त की जा सकती है।

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अंक शास्त्र

अंकों का महत्व बड़ा ही आश्चर्यजनक है। संसार का कोई भी क्षेत्र हो अंकों के अभाव में महत्वहीन ही रहता है। आज वैज्ञानिक उपग्रह छोड़ रहे हैं। यह गणना का ही खेल है कि अमुक दूरी पर स्थित कक्षा में वह उपग्रह किस गति से जाकर कितने समय में निर्देशित कक्षा में पहुंच पाता है। आर्थिक लेन-देन का क्षेत्र हो या ग्रह दोष-शांति के लिए मंत्रों का जप सभी संख्या आधारित हैंै। हमारा ज्योतिष का विशाल आकाश भी अंकों से अछूता नहीं है।

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अंक शास्त्र के सूत्र व मैत्री

विश्व के प्राचीन साहित्य, पूर्व व वर्तमान की परंपराओं के इतिहास की ओर देखें तो पता चलता है कि अंक शास्त्र की विद्या पूरे विश्व तक फैली ही नहीं बल्कि इसमें आपसी तौर पर परंपरागत समानताएं भी पाई गई है। प्रस्तुत है अंक शास्त्र के सूत्र और उनमें मैत्री संबंध।

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अंक शास्त्र की नजर में तलाक

आज के युग में शादी और तलाक एक दूसरे के पूरक हो गये हैं। शादी होने के कुछ समय बाद ही तलाक की नौबत आ जाती है। तलाक होने के कई कारण होते हैं। लेकिन यदि हम इसे अंकशास्त्र की नजर से देखें तो पता चलता है कि इसमंे अंकशास्त्र की भूमिका भी महत्वपूर्ण है। यदि हम अपने जीवन में अंकों का तालमेल बैठा लें तो बहुत हद तक इस स्थिति से बचा जा सकता है।

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अंक शास्त्र में मूलांक, नामांक व् भाग्यांक का महत्व

समय का पहला मापदंड अंक है, क्योकि जीवन में जो कुछ भी घटित हुआ है, हो रहा है, या होगा, उसे व्यक्त करने के लिए हमें अंकों का सहारा लेना पडता है किसी भी परिणाम का प्रारंभ और अंत अंक ही है। जीवन का प्रत्येक क्षेत्र अंक शास्त्र से बंधा हुआ है। अंक।