
चेहरे की ज्यामिति व लक्षण
यह क्षेत्र मनुष्य की संपूर्ण बौद्धिक,
दर्शन, नैतिक, यश, कीर्ति, अध्यात्म,
योग, कला, उच्च ज्ञान, चिंतन,
स्वभाव, भावुकता आदि विषयों के
लिए मुख्य रूप से विचारणीय हैं।
दुख, पीड़ा, चिंता व संपूर्ण नाड़ी
मंडल के संचालन की क्रियाएं इसी
भाग से नियंत्रित होती है। ललाट का
ये भाग यदि पूर्ण आभायुक्त स्वरूपों
में विकसित रहा तो ऐसे जातक
दार्शनिक, व्याख्याकार, दयालु, उच्च
विचारक, प्रेम, स्नेही, बंधुत्व व अच्छे
आदर्शों जैसे गुणों के पूर्ण धनी होते
हैं। किंतु अधिक उभरे बृहत,
विस्तृत व चैड़े ललाट को
पूर्ण सकारात्मक नहीं
माना जाता। ऐसे जातक
अतिवादी होते हैं।
सुल्तान फैज ‘टिपू’ | 15-Apr-2016
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