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ग्रह, दशा और विवाह

विवाह मानव जीवन का अत्यन्त आवश्यक पहलू है। लेकिन किसी भी व्यक्ति का विवाह कब होगा अर्थांत किस दशा-अंर्तदशा में होगा? यह बताने के लिये विभिन्न ज्योतिष विशेषज्ञों की राय विभिन्न रही है। जन्म कुंडली में विवाह कारक ग्रहों का किन-किन भावों से संबंध है, इस बारे में भी ज्योतिषियों की राय अलग अलग रही है। अक्सर ये कहा जाता है कि जन्म कुंडली में विवाह के भाव सप्तम भाव से संबंध रखने वाले ग्रहों की दशा काल में ही विवाह हो सकता है।

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ग्रहण और उसके प्रभाव

ग्रहण का व्यक्ति एवं समष्टि पर निस्संदेह व्यापक प्रभाव पड़ता है। सूर्य ग्रहण एवं चंद्र ग्रहण व्यक्ति, समुदाय एवं राष्ट्र को हर दृष्टिकोण से शुभ अथवा अशुभ रूप में प्रभावित करते हैं। 8 अक्तूबर 2014 को चंद्र ग्रहण एवं 24 अक्तूबर 2014 को सूर्य ग्रहण पड़ने वाला है। आइए देखें कि ये ग्रहण हमारे देश तथा विश्व के अन्य राष्ट्रों को किस प्रकार अच्छे या बुरे रूप में प्रभावित कर सकते हैं....

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ग्रहों एवं दिशाओं से संबंधित व्यवसाय

वास्तु में प्रत्येक दिशा किसी न किसी ग्रह द्वारा शासित होता है। अतः किसी भी व्यवसाय को तत्संबंधी दिशाओं एवं ग्रहों के अनुकूल रहने पर विशेष लाभ मिलता है। प्रश्न: पूर्व दिशा में किस तरह का व्यवसाय करना चाहिए? उत्तर: ग्रहों में सूर्य पूर्व दिशा का स्वामी होता है।दवा, औषधि आदि के लिए पूर्व की दिशा सबसे उपयुक्त है।