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ग्रह स्थिति एवं व्यापार

गोचर फल विचार मासारंभ में शनि राहु का सूर्य व मंगल के साथ समसप्तक योग बनना पश्चिमी देशों में राजनैतिक परिवर्तन होने का याग बना रहा है। इसके साथ ही सूर्य, मंगल, बुध, केतु, शुक्र का पंचग्रही योग बनाते हुए बृहस्पति से द्विद्वादश योग में आना समुद्री तटों पर प्राकृतिक प्रकोप से धन-जन की हानि करेगा तथा पूर्वी प्रांतों में ये योग उग्र तत्वों के बढ़ जाने से अशांति का वातावरण पैदा करेगा।

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ग्रह स्थिति एवं व्यापार

मासारंभ में सूर्य, मंगल का शनि, राहु से षडाष्टक योग में होना तथा 6 जून को देवगुरु बृहस्पति का अस्त हो जाना और कालसर्प योग का बनना देश में राजनीतिज्ञों में परस्पर विरोधाभास की स्थिति को और अधिक बनाएगा तथा परस्पर नए मुद्दों को लेकर संघर्ष की स्थिति पैदा करेगा। सूर्य मंगल का केतु के साथ द्विद्व ादश योग में रहना दैनिक उपयोगी वस्तुओं में महंगाई को और बढ़ावा देता है जिससे आम जनता को देश के शासकों के प्रति संघर्ष करने पर विवश करेगा।

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ग्रह स्थिति एवं व्यापार

गोचर फल विचार मासारंभ में 1 मई को सूर्य मंगल का राशि संबंध तथा केतु से द्विद्र्वादश योग में होना राजनीतिक नेताओं में परस्पर विरोधाभास और टकराव को बढ़ाकर राजनीति में आकस्मिक नया मोड़ लाएगा। बृहस्पति की शनि पर दृष्टि का होना किसी वरिष्ठ राजनीतिज्ञ के लिए अत्यंत कष्टकारी साबित होगा।

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ग्रह स्थिति एवं व्यापार

गोचर फल विचार मासारंभ में बुध का वक्री होना तथा शुक्र का अस्त होना पड़ोसी देशों के साथ संबंधों में तनाव का कारण बनेगा तथा शनि व सूर्य का द्विद्र्वादश योग में होना तथा मंगल व शनि का भी द्विद्र्वादश योग में रहना तथा मंगल ग्रह का गुरु से दृष्ट होना अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में विशेष हलचल का योग बनाता है।