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एक सभ्य समाज के निर्माण की प्रक्रिया

विश्वव्यापी बहाई समुदाय इस कार्य में तल्लीन है कि किस प्रकार सभ्यता निर्माण की प्रक्रिया में यह अपना योगदान दे सके। यह दो प्रकार के योगदान को महत्व दे रहा है। पहले प्रकार का योगदान बहाई समुदाय के विकास और उन्नति से सम्बन्धित है और दूसरा इसकी समाज में सहभागिता से। पहले प्रकार के योगदान के सन्दर्भ में यह कहा जा सकता है कि बहाई पूरे संसार में निरहंकारी वातावरण में एक ऐसी कार्यप्रणाली व समरूपी प्रषासनिक ढांचों की स्थापना के लिए प्रयासरत है

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ऐसे करें जीवनसाथी का चुनाव

फ्यूचर समाचार के पिछले अंक में जन्मतिथि के अनुसार तत्व ज्ञात करना बताया गया। जिस व्यक्ति का जो तत्व होता है उस तत्व की ही उसके जीवन में प्रधानता होती है। इन पंचतत्वों में से कुछ आपस में मित्र होते हैं तो कुछ शत्रु अथवा सम। अतः जीवनसाथी के चुनाव में भी यदि हम अपने तत्व से मित्रता का संबंध रखने वाले तत्व के जीवनसाथी का चयन करें तो निश्चय ही आपस में काफी प्रेम, सौहार्द एवं सहयोग, साहचर्य रहेगा तथा दोनों मिलकर प्रेमपूर्वक गृहस्थी की गाड़ी चलाने में सक्षम होंगे। यदि दोनों साथियों के तत्वों में अनुकूलता नहीं होगी तो ऐसी स्थिति में आपसी तनाव, संघर्ष, झगड़े, अलगाव एवं तलाक की नौबत आना अवश्यंभावी है। पंचतत्वों की सहायता से सही जवीनसाथी का चुनाव काफी उपयोगी पद्धति है तथा अनुकूलता देखकर संबंध बनाना सफल दांपत्य जीवन का द्योतक है।

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ओशो रजनीश

आज हम बात कर रहे हैं, धर्म गुरु ओशो की। कहने को तो वे धर्मगुरु थे लेकिन उन्होंने अपना कोई मंदिर नहीं बनवाया और न ही किसी को अपनी पूजा करने दी। ऐसे व्यक्ति कई सदियों के बाद जन्म लेते हैं। ओशो के जीवन की कहानी ऐसी क्यों रही इसके पीछे ज्योतिषीय कारण क्या थे इसकी चर्चा हम इस लेख में करेंगे।