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इन्फर्टिलिटी

‘‘फर्टिलिटी अर्थात प्रजनन क्षमता से जुड़ी समस्यायें स्त्री और पुरूष दोनों में ही पायी जाती हैं। हमारी कुंडली जीवन के प्रत्येक पक्ष को स्पष्ट रूप से दर्शाती है। पुरूष की कुंडली में शुक्र और सूर्य तथा स्त्री की कुंडली में मंगल और चंद्रमा प्रजनन क्षमता को नियंत्रित करते हैं। इसके अतिरिक्त कुंडली का सप्तम भाव भी फर्टिलिटी में महत्वपूर्ण भूमिका रखता है। पुरुषों के लिए शुक्र, शुक्राणु को नियंत्रित करता है और सूर्य की सहायक भूमिका होती है तथा स्त्रियों के लिए मंगल और चंद्रमा रज को नियंत्रित करते हैं।

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ईशा का नन्हा विभोर विलक्षण प्रतिभाशाली

तीन वर्ष की छोटी सी आयु में विलक्षण प्रतिभाशाली मास्टर विभोर को वल्र्ड रिकार्ड अकादमी के द्वारा पीएच. डीकी मानद डिग्री के लिए नामांकित किया गया है। इतनी छोटी सी आयु में विश्वविद्यालय की सर्वोच्च उपाधि के लिए नामांकित किये जाने वालों में विभोर विश्व का सबसे कम आयु वाला बच्चा है। क्या इतनी छोटी सी आयु में कोई पीएच. डी. जैसी डिग्री को प्राप्त करने के बारे में सोच भी सकता है? सचमुच ही यह बड़े आश्चर्य की बात है कि कोई बच्चा इतना असाधारण प्रतिभाशाली भी हो सकता है। जब यह समाचार टेलीविजन एवं न्यूजपेपर में आया होगा कि ‘‘तीन साल के विभोर को मिलेगी पीएच. डी. की डिग्री’’ तो उसकी मां ईशा को अत्यंत गर्व का अनुभव हुआ होगा। गर्व क्यों न हो ऐसी असाधारण प्रतिभा किसी विरले को ही सुलभ हो सकती है। हर ज्योतिर्विद यह जानना चाहता है कि सितारे ऐसा क्या ग्रह योग बना रहे हैं कि जिनके प्रभाव से नन्हा विभोर इतना प्रतिभाशाली और कुशाग्र बुद्धि संपन्न हो गया। आईये जानें इस सत्य कथा में प्रकाशित विभोर की जन्मकुंडली के ज्योतिषीय विश्लेषण से....

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उच्च नीच के ग्रह क्यों और कैसे होते हैं?

ज्योतिष में रुचि रखने वाले उच्च/ नीच के ग्रहों से रोजाना मुखातिब होते हैं और ग्रहों की इस स्थिति के आधार पर फलकथन भी करते हैं। शाब्दिक परिभाषा के आधार पर ‘उच्च’ का तात्पर्य सामान्य स्तर से ऊँचा और ‘नीच’ का तात्पर्य सामान्य स्तर से नीचा होता है। इस लेख का विषय है कि ग्रह उच्च/नीच के क्यों और कैसे होते हैं?

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उच्च शिक्षा प्राप्ति के ग्रह योग तथा उपाय

वर्तमान काल के प्रतिस्पद्र्धापूर्ण वातावरण में सफलता के लिए सद्बुद्धि, मानसिक दृढ़ता और उचित शिक्षा आवश्यक होती है। हर एक व्यक्ति की कार्यक्षमता अलग होती है। सभी कुशल डाॅक्टर, इंजीनियर या सफल व्यापारी नहीं बन सकते। शिक्षा के विषयों में भी बहुमुखी विस्तार हुआ है। अतः माता-पिता को संतान की जन्मकुंडली एक योग्य ज्योतिषाचार्य को दिखाकर मार्गदर्शन प्राप्त करना चाहिए जिससे उसका भविष्य सुगम व सफल बने।

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उत्तर भारत में पंचांग निर्माण के स्थल

इस अनुपम विशेषांक में पंचांग के इतिहास विकास गणना विधि, पंचांगों की भिन्नता, तिथि गणित, पंचांग सुधार की आवश्यकता, मुख्य पंचांगों की सूची व पंचांग परिचय आदि अत्यंत उपयोगी विषयों की विस्तृत चर्चा की गई है। पावन स्थल नामक स्तंभ के अंतर्गत तीर्थराज कैलाश मानसरोवर का रोचक वर्णन किया गया है।

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उत्तरायण और मकर संक्रांति की भ्रांति

हर वर्ष की तरह जनवरी-2016 में भी, सूर्य देवता के मकर राशि में प्रवेश करते ही, भारत में मकर संक्रांति बड़ी धूम-धाम से मनाई जायेगी और हर वर्ष की तरह एक-दूसरे को फोन पर और ॅींजे।चच आदि पर शुभकामनाएं देने का तांता सा लग जायेगा। मकर संक्रांति की महत्ता फसलों के त्यौहार से अधिक उत्तरायण की शुरुआत के लिये मानी जाती रही है और इसकी पुष्टि अनेक पुस्तकों और लेखों में होती रही है। आइये, मिलकर इस विषय पर मनन करें और स्वयं निष्कर्ष पर पहुंचें कि क्या उत्तरायण और मकर संक्रांति एक ही समय से शुरू होती हैं?

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उदर रोग

उदर शरीर का वह भाग या अंग है जहां से सभी रोगों की उत्पत्ति होती है। अक्सर लोग खाने-पीने का ध्यान नहीं रखते, परिणाम यह होता है कि पाचन प्रणाली गड़बड़ा जाती है जिससे मंदाग्नि, अफारा, कब्ज, जी मिचलाना, उल्टियां, पेचिश, अतिसार आदि कई प्रकार के रोग उत्पन्न होते जाते हैं जो भविष्य में किसी बड़े रोग का कारण भी बन सकते हैं। यदि सावधानी पूर्वक संतुलित आहार लिया जाये तो पाचन प्रणाली सुचारू रूप से कार्य करेगी और हम स्वस्थ रहेंगे।