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शनि-कुछ खगोलीय तथ्य

हमारे सौर मंडल में शनि सूर्य से छठे क्रम का ग्रह है। बड़ा ग्रह होने की दृष्टि से यह शनि ग्रह सौर मंडल में दूसरे क्रम पर आता है। सबसे बड़ा गुरु ग्रह होता है और दूसरे क्रम में शनि ग्रह होता है। शनि ग्रह गैस के बड़े गोले के रूप में है और इसकी त्रिज्या ;त्ंकपनेद्ध पृथ्वी से लगभग नौ गुनी है। भार की दृष्टि से पृथ्वी से लगभग 95 गुना भारी है जबकि पृथ्वी के घनत्व का लगभग 1/8वां भाग है। शनि का नाम ‘शनि’ कृषि कार्य के रोमन देवता के नाम के ऊपर पड़ा है। इसका खगोलीय प्रतीक चिह्न ( ) जो कि हंसिया के समान होता है, यह हंसिया कृषि कार्यों में फसल काटने के काम आता है।

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शनि-चंद्र का विष योग

फलदीपिका’ ग्रंथ के अनुसार ‘‘आयु, मृत्यु, भय, दुख, अपमान, रोग, दरिद्रता, दासता, बदनामी, विपत्ति, निन्दित कार्य, नीच लोगों से सहायता, आलस, कर्ज, लोहा, कृषि उपकरण तथा बंधन का विचार शनि ग्रह से होता है। ‘‘अपने अशुभ कारकत्व के कारण शनि ग्रह को पापी तथा अशुभ ग्रह कहा जाता है। परंतु यह पूर्णतया सत्य नहीं है।

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शुभ कार्यों में मुहूर्त की उपयोगिता

हमारे विद्वान ऋषियों ने शुभ कार्य करने के निमित्त शुभ समय का निर्धारण किया है, जिसे ‘मुहूर्त’ कहते हैं। इस मुहूर्त में हर विशेष कार्य के लिए एक विशेष समय का निर्धारण किया गया है। शादी-विवाह के लिए जो समय निर्धारित किया गया है, उसमें कृषि कार्य संपन्न नहीं किया जा सकता। दुकान खोलने का समय अलग होता है, तो फैक्ट्री लगाने का अलग।

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शुभफल कारक राहु

अपनी जन्मकुंडली में स्थित राहु को लेकर जहां हम शंकाओं और भय से व्याप्त रहते हैं वहीं कुछ ऐसी स्थिति भी होती है जिनमें राहु हमारे लिये शुभ फल देने वाला बन जाता है क्योंकि राहु तो अपनी स्थिति के अनुसार ही फल करता है। राहु की शुभ स्थितियों को देखें तो कुंडली के तृतीय, षष्ठ एवं एकादश भाव में बहुत शुभ कारक माना जाता है तथा लग्न, पंचम, नवम व दशम भाव में भी शुभ होता है। इसके अतिरिक्त कुंडली के लग्नेश, पंचमेश और भाग्येश के साथ बैठा या दृष्ट राहु भी शुभ फल कारक होता है। वृष, मिथुन तथा कन्या राशि में भी शुभ होता है परंतु राहु की श्रेष्ठ स्थिति लाभ स्थान अर्थात एकादश भाव में होती है।

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शयन एवं स्वप्नः एक वैज्ञानिक मीमांसा

स्वप्न क्या हैं? ये क्यों आते हैं? इनका हमारे भविष्य से क्या संबंध है? इसको समझने के लिए सबसे पहले समझते हैं नींद को। नींद क्या है? यह क्यों आती है? नींद की क्या-क्या अवस्थाएं हैं और नींद की किस अवस्था में स्वप्न आते हैं? वैज्ञानिकों ने इसको समझने के लिए शयन प्रयोगशालाएं बनायी हैं, जिनमें शयन कक्ष के साथ निरीक्षण कक्ष रहता है एवं प्रत्येक कक्ष में मस्तिष्क की विद्युत गतिविधि के लिए ई ई जी (EEG), मांसपेशियों की गतिविधि के लिए ई एम जी (EMG) एवं आंखों की गतिविधि को नापने के लिए ई ओ जी (EOG) आदि यंत्र लगे होते हैं।

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शेयर बाजार के सट्टे में रोडपति या करोड़पति

पौराणिक ग्रंथों में कहा गया है, ‘‘जहां लक्ष्मी जी हों वहां सरस्वती जी का होना जरूरी नहीं, पर जहां सरस्वती हों वहां लक्ष्मी जी अवश्य होंगी और वो भी लंबे समय तक। लक्ष्मी जी जहां पर रहती हैं हर पल प्रगति करवाती हैं। लक्ष्मी प्राप्ति के लिए लोग तरह-तरह के पापड़ बेलते हैं चाहे फिर वह आसान हो या कष्टदायक।

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शेयर बाजार में तेजी-मंद

सूर्य: मासारंभ में मकर में है। 13.2.2006 से कुंभ में प्रवेश करेगा, कुंभ संक्रंाति रविवार को 15 मुहूर्ती है जो तेजी दर्शाती है। चंद्र दर्शन फरवरी में नहीं है। मंगल: मासभर मेष में है, 5.2.2006 से वृषभ में प्रवेश करेगा। बुध मासारंभ में मकर में है, 5.2.2006 से कुंभ में और 24.2.2006 से मीन में प्रवेश करेगा। 9.2.2006 से पश्चिमोदय होगा। गुरु मासभर तुला में रहेगा। शुक्र मासारंभ में धनु में है, 25.2.2006 से मकर में प्रवेश करेगा। शनि कर्क में, राहु मीन में, केतु कन्या में, हर्षल कुंभ में, नेप्च्यून मकर में और प्लूटो धनु में मासभर रहेंगे। मासभर बैंक, प्रकाशन, कागज, शर्करा, खाद्य पदार्थ, विद्युत, सिल्क, प्रसारण, रबर, तंबाकू, बीमा कंपनी, रुई के शेयरों में तेजी रहेगी। 19.2.2006 से गृह, रसायन, रंग, तांबा, मशीनरी, वाहन, लोहा, सीमेंट, चमड़ा, तेल, गैस और रेल के शेयरों में तेजी रहेगी।