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अगर जन्मकुंडली नहीं है तो क्या करें?

स्वास्थ्य संबंधी समस्या: अगर आप को स्वास्थ्य संबंधित समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं, आपको तनाव रहता है व नींद भी पूरी नहीं हो पा रही, इसी वजह से आप दिन प्रतिदिन कोई न कोई बीमारी से पीड़ित हो रहे हैं तो आप अपने दाहिने हाथ की छोटी उंगली में चांदी की अंगूठी में मोती जड़वाकर सोमवार को पहनें व सफेद धागे में तीन मुखी रुद्राक्ष डालकर गले में धारण करें, आपको अवश्य लाभ मिलेगा।

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अगला राष्ट्रपति कौन?

भारत का राष्ट्रपति कौन नहीं बनना चाहता है? यह भारत का सर्वोच्च पद है। अब यह पद खाली होने जा रहा है, महामहिम माननीय प्रणब मुखर्जी के कार्यकाल के आखिरी डेढ़ दो महीने ही बचे हैं। 26 जुलाई 2017 तक अगले राष्ट्रपति, देश के प्रथम नागरिक 21 तोपों की सलामी के साथ देश के सबसे खास पते वाले आवास में कदम रख चुके होंगे। राष्ट्रपति की तनख्वाह वर्तमान में 1.5 लाख रुपए महीना है, जो शायद ज्यादा न लुभाए लेकिन यह कर मुक्त है तथा जल्द ही यह दुगुनी या तिगुनी भी हो सकती है, फिर सुख-सुविधाओं औरभत्तों का तो कहना ही क्या! पद की गरिमा के अनुकूल थोड़े से प्रयासों के मुकाबले तो यह सुविधाओं के अनुपात में अधिक है। पांच साल तक भाषण, उद्घाटन एवं अतिथियों का अभिनंदन वगैरह करना होता है और दुनिया भर के उच्च और असरदार लोगों के साथ कंधे से कंधा मिलाना होता है। आखिर कौन है इस सबसे अव्वल ओहदे का दावेदार और आखिरकार किसको यह ओहदा मिलने वाला है? संविधान के जानकार आंकड़ों के जोड़-तोड़ में व्यस्त हैं, नई दिल्ली की सत्ता के गलियारों से दबी जुबान चर्चाएं छन-छन कर सामाजिक हलकों में तैर रही हैं, समाज के विभिन्न क्षेत्रों में कार्य कर रहे व्यक्तियों में भावी भारत के महामहिम का चेहरा ढंूढ़ रहे हैं। इस विषय में ज्योतिष क्या कहता है? इस संदर्भ में निम्न कुंडलियों का ज्योतिषीय विश्लेषण इस प्रकार से है

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अंगों से जानें व्यक्ति का भविष्य

आकार के आधार पर पुरुषों का मुख - मुंह छोटा हो तो शुभ होता है। - मुंह बहुत अधिक फैला हुआ हो तो व्यक्ति दरिद्र होता है। - चैड़ा मुंह अशुभ होता है। स्त्रियों के मुख - उन्नत ललाट एवं आकर्षक मुखाकृति वाली स्त्रियों को राजसी सुख प्राप्त होता है। - जिस स्त्री का मुंह सुंदर, कांतियुक्त हो वह सौभाग्यशालिनी होती है। - आकर्षक, शांत और कांतियुक्त मुंह वाली स्त्रियां धनवान होती हैं। - मुंह-गोल तथा मांसल हो तो स्त्रियां सौभाग्यशालिनी होती हैं।

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अच्छे पंचांग की विशेषताएं

इस अनुपम विशेषांक में पंचांग के इतिहास विकास गणना विधि, पंचांगों की भिन्नता, तिथि गणित, पंचांग सुधार की आवश्यकता, मुख्य पंचांगों की सूची व पंचांग परिचय आदि अत्यंत उपयोगी विषयों की विस्तृत चर्चा की गई है। पावन स्थल नामक स्तंभ के अंतर्गत तीर्थराज कैलाश मानसरोवर का रोचक वर्णन किया गया है।

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अच्छी शिक्षा प्राप्ति एवं विद्या बाधा निवारक उपाय

आधुनिक युग में अच्छी शिक्षा के महत्व एवं अनिवार्यता से कोई भी अनभिज्ञ नहीं है। शिक्षा के बिना जीवन अधूरा है। वर्तमान समय में न केवल पारिवारिक उत्तरदायित्वों का वहन करने के लिए वरन् राजकीय सेवाओं, उद्योगों, व्यवसायों, घरेलू उद्यमों में सफलता प्राप्त करने तथा राजयोगों का स्वयं लाभ प्राप्त करने के लिए अच्छी शिक्षा का होना अनिवार्य है। प्रस्तुत लेख में बालक या बालिका को मेधावी बनने के, अच्छी शिक्षा प्राप्त करने एवं विद्या में बाधा निवारक संबंधी कुछ शास्त्रोक्त उपाय पाठकों के लाभार्थ प्रस्तुत किए जा रहे हैं, जो अचूक एवं अत्यंत प्रभावशाली एवं आजमाए हुए हैं। इनका प्रयोग करने पर अपने पुत्र या पुत्री को अत्यंत मेधावी बनाया जा सकता है, इसमें कोई संदेह नहीं है तथा विद्या में बाधक कारणों को भी अत्यंत सरलता के साथ दूर किया जा सकता है। इन उपायों को पूर्ण श्रद्धा-विश्वास के साथ नियमानुसार प्रयोग करने पर पूर्ण लाभ प्राप्त होता ही है।

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अध्यात्म प्रेरक शनि

ज्योतिष शास्त्र में बृहस्पति को ज्ञान, अध्यात्म और भक्ति का मुख्य कारक तथा केतु को मोक्ष का कारक माना गया है। परंतु ईश्वर की ओर प्रेरित करने में शनि की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। शनि ग्रह अपने भचक्र के 30 वर्ष के गोचर में 22) वर्ष सांसारिक दृष्टि से कष्ट, तथा बीच बीच में 2) वर्ष के तीन भागों में (कुल 7) वर्ष) सुख देकर सांसारिक सुख की क्षणभंगुरता के प्रति सचेत कराता रहता है।

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अंधेरों की ज्योति बेनो

जी हां जिन्दगी जीने के लिए केवल उजाला ही काफी नहीं होता। हौसले बुलंद हों तो व्यक्ति अंधेरों में भी उम्मीद की मशाल जला कर अपनी मंजिल ढूंढ़ ही लेता है। कहने सुनने में यह एक उपदेश सा लगता है पर इसे सच कर दिखाया है चेन्नई की 25 वर्षीय एन. एलबेनो जेफाइन ने। ये देश की पहली ऐसी आई. एफ. एस. अफसर बनी हैं जो पूरी तरह से दृष्टिहीन हैं।

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अधिक मास : कब और क्यों

वर्ष २००७ में दो ज्येष्ठ मास होंगे। इन्हें प्रथम ज्येष्ठ व् द्वितीय ज्येष्ठ के नाम से जाना जाता है। दो मास में चार पक्ष हो जाते है। प्रथम ज्येष्ठ कृष्ण पक्ष से शुरू होता है। तदुपरांत प्रथम ज्येष्ठ का शुक्ल पक्ष, द्वितीय ज्येष्ठ का कृष्ण पक्ष और फिर द्वितीय ज्योतिष्ट का शुक्ल पक्ष होता है।